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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२४४

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(२२७)

लेटि लेटि लौट पौटि लपटाति बीच बीच,
हां हां, हूँ हूँ, नेति, नेति वाणी होति जाति है।
आलिंगन अंग अंग पीड़ियत पदमिनी के
सौतिन के अंग अंग पीड़नि पिराति है॥६॥

जघा, कमर, नाभि, कंठ पीठ, भुजामूल तथा उरोजो मे नखो के चिन्ह अनेक भॉति किये गये है। कपोल दलित है, ओठो पर दॉतो की शोभा है। जीभ से तत्कालीन ध्वनियो का आनन्द लेती है और बनावटी रोष भी प्रकट करती है। बार-बार लेट-लेटकर और उलट-पलटकर हॉ, हॉ, हूँ, हूँ तथा नहीं, नहीं की ध्वनि भी करती जाती है। उधर तो पद्मिनी नायिका के अंग अंग आलिंगन से पीड़ित किए जा रहे है और इधर सौतो के अंग मर्दन से पीड़ित होते है।

(इममे दोष तो नायिको का है पर अंग सौतो के पीड़ित होते है अत और का दोष और मे प्रकट किया गया है)

उदाहरण (२)

कवित्त

राजभार, रजभार, लाजभार, भूमिभार,
भवभार, जयभार, नीके ही अटतु है।
प्रेमभार, पनभार, केशव सम्पत्ति भार,
पतिभार युत अति युद्धनि जुटतु है।
दानभार, मानभार, सकल सयान भार,
भोगभार, भागभार, घटना घटतु है।
ऐते भार फूल सम राजै राजा रामशिर,
तेहि दु:ख शत्रुन के शीरष फटतु है॥१०॥