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सवैया १६
जौ कहूँ केशव सोम सरोज, सुधा सुरभृगनि देह दहे है।
दाडिम के फल श्रीफल विद्रुम, हाटक कोटिक कष्ट सहै हैं ।
कोक कपोत करी अहि केसरि, कोकिल कीर कुचील कहे हैं।
अंग अनूपम वा तिय के उनकी उपमा कह वेई रहे है।
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सवैया ४६
खारिक खात न, माखन, दाख न दाडिमहूँ सह मेटि इठाई,
केशव ऊख मयूखहु दूखत, आईही तोपहँ छाडि जिठाई।