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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/३४०

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यक्ष किसने किया? इन सभी प्रश्नो का उत्तर 'जनमेजय' में है। [पहले प्रश्नो के उत्तर व्यस्त गतागत ढंग से निकालिये तो पहले प्रश्न का उत्तर 'जन' निकलेगा। दूसरे का 'नमे', तीसरे का 'मेय' (ठीक-ठीक) और चौथे का 'जय'। इसके बाद पिछले प्रश्नो के उत्तरों के लिए क्रम को उलटिये तो 'यज', 'जमे' अर्थात् यमे या यमराज का, 'मैन' और 'नय' [नीति उत्तर निकलेंगे। फिर समस्तोत्तर भिन्न पदार्थ से निकालिए तो 'जनमेजय' अर्थात् जन्म धारण करने से जीत होगी तथा 'जनमेजय' में ये उत्तर निकलेंगे।]

विपरीत व्यस्त समस्त

उदाहरण (१)

रोला छन्द

कै ग्रह, के मधु हत्यो, प्रेम कहि पलुहत प्रभुमन।
कहा कमल को गेह, सुनत मोहत किहि मृगगन।
कहाँ बसत सुखसिद्ध, कविन कौतुक किहि बरनन।
किहि सेये पितु मातु कहो, कवि केशव 'सरवन'॥६१॥

ग्रह कितने है। श्रीविष्णु ने मधु को कैसे मारा। प्रभु के मन में प्रेम कसे पल्लवित होता है। कमल का घर कौन सा है। किसको सुनकर मृग मोहित हो जाते है। सिद्ध लोग आनन्दपूर्वक कहाँ रहते हैं। कवि कौतुक के साथ किसका वर्णन करते है। माता-पिता की सेवा किसने की। 'केशव कहते है कि इनका उत्तर 'सरवन'।

[पहले प्रश्नो का उत्तर अन्त की ओर से आरम्भ कीजिये सो पहले प्रश्न का उत्तर 'नव' हुआ। फिर 'न' छोड़कर आगे का अक्षर लीजिये तो 'वर' बना। इसी तरह तीसरे का उत्तर 'रस' हुआ। अब सीधी ओर से चलिए तो चौथे प्रश्न का उत्तर 'सर' निकला। अब आगे का अक्षर मिलाइये तो 'रक' बना। यह पाँचवे प्रश्न का