यह पृष्ठ शोधित नही है
( ३३० )
गोमूत्रिका
दोहा
इन्द्रजीत सगीत लै, किये रामरस लीन ।
क्षुद्रगीत सगीत लै, भये कमाबस दीन ।।७।।
गोमूत्रिका चक्र
|इ द्रजा | त | स | गा | त | लै। कि | ये । रा म रस लीन
क्षुद्र गीत स गीत लै भये। काम बस दीन
इसका नाम गोमूत्रिका इसलिए पडा कि बैल के मूतते हुए
चलने पर जैसी टेढी मेढी रेखाए बनती हैं, वैसी इसमे भी बन
जाती है-
अश्वत चक्र
दोहा
इन्द्रजीत संगीतलै, किये रामरस लीन ।
क्षुद्रगीत संगीतलै भये कामबस दीन ॥६॥
अश्वगति चक्र
द्र जी ।
तसं गीत लै
कि ये राम र स ली
द्र
भ
गीत - सं
ये का | म । ब स | दी । न ।
[ यह घोड़े की चाल के अनुसार पढ़ा जाता है ]