पृष्ठ:कहानी खत्म हो गई.djvu/१८४

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प्यार
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चाहती हूं। क्या तुम मुझे इस सम्बन्ध में कुछ बता सकती हो? यदि नहीं बता सकतीं, तो यह लो, और यहां से चली जाओ।—यह कहकर उसने उसके हाथ पर सोने की एक मुहर रख दी।

चमचमाती मुहर को हथेली पर देखकर, वृद्धा की आंखों में चमक आ गई। उसने कहा-ऐ नेकबख्त, तू रेगिस्तान में पैदा हुई, लेकिन तेरी मौत तख्त पर होगी। बचपन में जिसे भूखी रहना पड़ा, जवानी में वह दुनिया को रोज़ी देगी। भरोसा रख, और इस दूसरी हथेली पर अपने विश्वास का सबूत दे। और उसने दूसरी हथेली फैला दी।

मेहरुन्निसा ने कांपते हाथ से एक और मुहर उसकी दूसरी हथेली पर रख दी। वृद्धा पागलों की भांति हंसती और बड़बड़ाती चली गई।

मेहरुन्निसा भविष्यवाणी जैसी बातों को यद्यपि संदिग्धं मानती थी, फिर भी कहीं उसके अन्तस्तल में इनपर विश्वास भी था। बुढ़िया की अटपटी भविष्यवाणी सुनकर उसका कलेजा उछलने लगा। उसके मन में निराशा और अवसाद का जो अन्धकार बढ़ता चला आ रहा था, वह जैसे छिन्न-भिन्न होने लगा। एक अज्ञात आशा वृद्धा की अटपटी बातों से पल्लवित हो उठी। वह महत्त्वाकांक्षिणी स्त्री थी, और उसके मन में हुकूमत की लालसा थी। एक शहनशाह से उसके मानसिक दांव-पेंच चल रहे थे। वह शक्ति-भर अपनी प्रतिष्ठा-वृद्धि का कोई अवसर न चूकती थी। वह जानती थी कि उसके अप्रतिम सौन्दर्य, सुरुचि और उच्च चरित्र की चर्चा हरम में दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी।

इसी तरह दिन बीतते गए। इसी बीच एक असाधारण घटना घटी। एका-एक यह अफवाह फैल गई कि एक अत्युच्च अमीर उससे प्रेम करता है, और उसने उससे विवाह का प्रस्ताव किया है, जिसे मेहर ने स्वीकार कर लिया है। एक दिन वह अधीर, उतावला प्रेमी उसके कक्ष में बिना उसकी अनुमति के जा पहुंचा, और अत्यन्त नग्न और बेतुके ढंग से अपना प्रेम प्रकट करने लगा। मेहर ने उसे तुरन्त बाहर चले जाने का आदेश दिया। पर वह वासना का पुतला उसके आदेश की परवाह न करके उसे ज़बर्दस्ती आलिंगन करने को बढ़ा। मेहर ने सिंहनी की भांति उछलकर अपनी कटार मूंठ तक उसकी छाती में भोंक दी। आक्रमणकारी खून से लथपथ होकर फर्श पर छटपटाने लगा। आग की तरह यह खबर हरम में