पृष्ठ:कहानी खत्म हो गई.djvu/२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
कहानी खत्म हो गई
२५
 


वैसा ही जैसा सुषमा की गोद में हंस-खेल रहा है। लेकिन......

मिसेज़ शर्मा भी एकदम उठ खड़ी हुईं। उन्होंने कहा-बस-बस, चौधरी, अब खत्म कीजिए। और वे बिना कुछ कहे चल खड़ी हुईं। परन्तु मैंने कहा:

'अब तो थोड़ी ही सी बात रह गई है। मेजर तो तुरन्त वहां से चल दिए थे। मेरे लिए मामला रफा-दफा करना लाजिमी हो गया। पुलिस को विदा कर, और अपराध का खोज-पता मिटाकर उसे मैंने उसके घर भिजवा दिया। थोड़ी ही देर बाद एक पड़ोसी के हाथ उसने भैस मेरे पास भिजवा दी और इसके कुछ ही देर बाद मुझे सूचना मिली कि वह मर गई।'

कहानी खत्म हो गई और सन्नाटा छा गया। चाय प्यालों में भरी हई ठण्डी हो गई थी पर किसीने उसे छुआ भी नहीं! एक-एक करके चुपचाप सब लोग उठकर चल दिए: मुझे प्रतीत हुआ जैसे एक लानत की नज़र मेरे ऊपर फेंककर। मैं खामोश बैठा था। मेरा सिर घूम रहा था। आंखों में उस झोले में से निकली हुई चीज़ और सुषमा की गोद में खेलता-हंसता हुआ मेरा पुत्र! होंठों से खून बहाती फटे कपड़ों में लांछिता वह नारी और गहिणी-गौरव-मण्डिता सुषमा, सब। मूर्तियां जैसे घुल-मिलकर मेरे चारों ओर तेज़ी से चक्कर काट रही थीं। भय और आवेश से मैं चिल्ला उठा। मुझे इतना ही होश है, मेजर वर्मा ने किस तरह मुझे घसीटकर अपनी मोटर में डाला था। इसके बाद तो मैं बेहोश हो गया।