पृष्ठ:कहानी खत्म हो गई.djvu/३२

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ककड़ी की कीमत
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दूसरे दिन सूर्योदय के साथ ही सारे शहर में खबर फैल गई कि नगर के प्रसिद्ध रईस लाला शिवप्रसादजी ने रात जहर खाकर जान दे दी। वे एक पुर्जे पर यह लिखकर रख गए कि बाज़ार में मेरी इज्जत किरकिरी हो गई। अब मैं दुनिया में मुंह नहीं दिखा सकता।

ऊपर जिन दो प्रतिष्ठित रईसों के नाम दिए गए हैं, वे काल्पनिक हैं। आज भी ये दोनों घराने दिल्ली में उसी भांति प्रतिष्ठित हैं। हां, जिनका नाम जगतनारायण कल्पित किया है, उनके घर से लक्ष्मी रूठ गई है। आज वह विशाल हवेली टूट-फूटकर खण्डहर हो गई है। उसमें जो एकाध कमरा बचा है उसमें उनके उत्तराधिकारी बड़े कष्ट से काल-यापन करते हैं। नीचे के खण्ड के खण्डहरों में छोटे दर्जे के किरायेदार रहते हैं। जिनकी आमदनी पर ही उनका निर्वाह निर्भर है।