पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१०१

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दिनशा पडल जी यापा। - रूपवहार करता है उमी का संसार में सादर होता है। यम्बई में जो कुल उद्योग देश की भनाई के लिए किया जाता है उप हर एक काम में, श्राप कुछ न कुछ भाग ज़रूर लेते हैं। मन् १९०१ में जय कांग्रेस की १७.वीं बैठक कलफत्ते में हुई तय मम लोगों की मलाह से, पाप उस साल कांग्रेस के मभापति बनाए गए । उम समय जो आपने उपाख्यान दिया यह मनन करने योग्य है। हर एक भारत-हितैपो को भापका व्याख्यान पढ़ना चाहिए । पुस्तक बढ़ जाने के भय से हम उसे यहाँ पर नहीं दे सकते । देश की भलाई में प्राप जिस प्रकार दत्त चित्त हैं उमी प्रकार देशवामियों ने भी प्रापको भारत की राष्ट्रीयसभा का ममा पति बनाकर उचित मान दिया । देश सेवा करने वालों को, सर्वमाधारण की ओर से, उचित मान मिलने पर ही, उनका उत्साह दिन य दिन देश सेवा का काम करने की ओर बढ़ता है। आपको कांग्रेस का सभापति बनाकर, भारतीय प्रजाने सबों को यह साफ़ तौर पर दिखला दिया कि हमारे साथ जो भलाई करता है उसका हम मान, आदर और सत्कार किए बिना नहीं रहते। आज कल आपको दो बातों की ओर अधिक ध्यान है। एक तो भारत की दरिद्रता और दूसरे भारत सरकार का फौजी सर्व । इन दोनों विषयों पर भाप लेख लिख कर प्रकाशित करते हैं और व्याख्यान द्वारा मी भारत की दरिद्रता का कारण और फ़ौजी के फ़जूल खर्ची का विव- रण लोगों को समझाते हैं । इन विषयों पर आपके लेख और व्याख्यान इतने चित्त वेधश और हृदयंगम होते हैं कि उनको पदने पर इन दोनों विषयों की बाबत किसी प्रकार की शंका मन में नहीं रहती और आप के.मत्य कथन का चित्र हृदय पट पर चित्रित हो जाता है। आपका कथन है कि इंग्लिश राष्ट्र के महवाम से भारत की प्रजा दिनों दिन कंगाल होती जाती है और भारत सरकार सेना विभाग में बहुत ही धन खर्च करती है। जो धन प्रजा की शिक्षा और भलाई में खर्च होना चाहिए वह सघ का मब सेना विभाग में खर्च हो जाता है। आपको ये दोनों . बातें सच्ची मालूम पड़ती हैं । और दोनों बातें बड़े महत्व की हैं