पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१०४

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CC साप ने २० वर्ष की उमर तक अथात् मन् १८६० तक पढ़ा। बाद को प्राप उसी साल वैरिस्टरी पास करने के लिए विलायत गए । अापके बड़े भाई लगी थी । इसो उम्मेद से, अपने भाई को देखा देखो, बैरिस्टरी की परीक्षा पास करने, आप भी विलायत गए। वहां श्राप ने दो वर्ष शिक्षा पाई। सन् १९७२ में घेरस्टरी की परीक्षा पाम करके, पाप भारतवर्ष में कलकत्तं में येरिस्टरी करने लगे। राजनैतिक घर्षा करने में बगाल पहले से हो अन्य प्रान्तां को अपेक्षा आगे है। अगरेजी राज्य इरिहयन असेासिएशन' को बुनियाद हालो गई। इस असेासिएशन द्वारा सब से पहले लोगों ने यह उद्योग .किया कि जिस प्रकार इंग्लेड में कांग्रेम-परितायनी। रहने लगे। क्योंकि यहां के रामा गोणलकृष्ण मे उनकी शनत्रन दोगई यो । गढ़ी में लाल मेहन के पिता का जन्म हुअा । ला प्राकलेगह की कृपा से मनसे पहले यंगाल में इनकी मदरशमोनी की जगह मिली। लालमोहन के पिता और राम मोहन राय में प्रापन गूध मित्रता थी । राजा माय भारत के प्राचीन धर्म और रोति रवा से उदासोन थे । प्रतएय उन्हा ने उम ममय ब्राह्मधर्म की नोंघ हाली। राजा साहब के कार्य में प्राप के पिता बहुत कुछ महापता पहुंचाते थे। जिम समप ढाका कालिज को युनियाद रस्ता गई उस समय प्राप के पिता हो अग्रगणी थे। आप के पिता जी ने स्वतः बहुत सा धन कालिज फंड में दिया था। प्राप के पिता ने आप को पढ़ाने के लिए फलकत्ते भेजा। यहां पर मनमोहन घाप आपसे पहले ही विलायत जाकर बैरिस्टरी की परिक्षा पास कर भार थे और कलकत्त में उनकी चैरिस्टरी सूप लौट प्राए और अच्छी तरह चलने की बुनियाद, सब से पहले भारत में, बंगाल में ही पड़ी । सब से पहले अगरेजो शिक्षा का प्रारम्भ बंगाल से ही हुआ। अंगरेजी रीति रिवाज का ताना बाना सब से पहले बंगालियों ने हो सोखा । फिर यदि राम नैतिक चर्चा बंगाल से ही प्रारम्भ होकर अन्य प्रान्तों में फैले तो कुछ श्राश्चर्य की बात नहीं । मन् १८७२ में जब बाबू लालमोहन विलायत से वापस आ गए तब कलकत्त में राजनेति फैलाने के लिए 'वृटिश .