पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१११

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सर हेनरी काटमा रहित और स्वतंत्र स्वभाव के कारण, इस देग की गासन प्रणाली तथा राज्य नीति विषयक अन्य बातों में, गयमेंट के यढ़े पड़े पदाधिकारियों से मापको मन बन रहा करती थी। इसीलिए मापने मन् १९२२ ईसयी में; सरकारी नौकरी से इस्तेफा दे दिया। अपना पद त्याग कर, जय पाप मामाम से चलने लगे तर मापने यहां के लोगों से कहा कि "मुझे विश्वास है कि यह मेरी अन्तिम विदाई नहीं है। यह सम्भव नही मि, जिम मनुष्य ने अपना मरा जीयन इस देश की सेवा में पिताया हो और जिसको मर्षस्य इसी देश से प्राप्त हुमा हो, वह फिर वहां कभी थाने की इच्छान फरे। कमफत्ते में भी आपने हमी प्रकार कहा था कि मैं आप लोगों से जुदा नहीं हो सकता मुझे विश्वाम है कि यह मेरी अन्तिम विदाई नहीं होगी। यदि मेरा जीयन और स्वास्थ्य ठीक रहा तो श्राप विश्वास कीजिये कि मैं फिर भी आप लोगों से पा कर मिलूंगा।' • ईश्वर की कृपा से ऐसा ही हुआ। भार- तीय प्रजा ने आपको अपनी जातीय सभा काजरेस का सभापति बनाया। गत वर्ष कारेस को २० घों बैठक बम्बई में हुई थी इसी में प्राफर प्राप सभापति प्रायः सब सरकारी नौकर चाहे वे देगी हों अथवा विदेशी केवल सरकारी काम करके ही वे अपने जीवन की इति कर्तव्यता समझते हैं। - सरकारी काम करने के बाद वे फिर किसी उपकारी काम की भोर बहुत कम ध्यान देते हैं। भारत के जो विद्यार्थी कालिगों में सच शिक्षा पाते हैं वे भी परीक्षीत्तीर्ण होकर सरकारी नौकरी पाकर सन्तुष्ट हो जाते हैं और अपना जीवन सुफल समझने लगते हैं । यह यात अनुभव से मिद हो चुकी है कि जिन विषयों की चर्चा और अध्ययन में, उन लोगों को यिद्यार्थी दशा में प्रानन्द प्राप्त होता था, उन्हीं विषयों में जय धे घर- कारी नौकर हो जाते हैं घृणा करने लगते हैं। ऐसे लोगों को सर हेनरी काटन के चरित से शिक्षा ग्रहण करना चाहिए । हम ऊपर लिख 'श्राए हैं कि जय सर हेनरी काटन कालेज में पढ़ते थे तय प्रापने इतिहास और साहित्य में पूर्ण निपुणिता प्राप्त कर ली थी । यस, इसी का उप- योग भाप ने भारत की सेवा करने में किया । जब कभी आपको -