१०० (विदेशियों) को चाहिए कि अपनी पूंजी भिन्न भिन्न व्यवसायों में सफलता व्यवसाय करने वाले अंगरेजों से लार्ड कर्जन ने जो कुछ कहा था उसका भी सारंश यही था कि मेरा काम शासन करने का है और तुम लोगों को एक ही कर्तव्य के भिन्न भिन्न स्वरूप हैं।" इस सम्मति का विरोध करते हुए काटन महोदय ने कहा था कि:-"उक्त वाक्यों में एक भी ऐसा शब्द नहीं है कि जिससे यह बात प्रगट होती हो कि इस देश की दुसित देखते हैं कि इस देश में अगरेजों के केवल दोही कर्तव्य हैं। शासन करना और धन को चूसना ! भारतवासियों की योग्यता और सनके
- यह अंगरेजी के "Exploite का भावार्थ है काशीनागरी प्रचारिकी
ममा ने अपने "भापा वैज्ञानिक कोष” के 'अर्थशास्त्र की परिभाषा में † My work lies in administration, yours in exploitation; but boite कांग्रेस-चरिसावली। नौकरी की हालत में, सरकारी बड़े बड़े अधिकारियों से, भापका, मत विरोध रहा करता था; इसका एक और उदाहरण हम देते हैं। एका समय लाई फर्जग महोदय ने सासाम के चाय के अंगरेज़ घ्यापारियों यह कहा था कि "इस देश में जितने भगुरेज हैं-धाहे वे खेती और खानों के काम पर हों, अथवा व्यापार और सरकारी नौकरी करते हों उन सबों का उद्देश्य एक ही है । अर्थात सरकारी कर्मचारियों को चाहिए कि वे इस देश का शासन उत्तम रीति से करें; और अन्य लोगों पूर्वक लगा कर इस देश की सम्पति को चूसले" * भारत में खानों का इस देश की सम्पत्ति को चूम लेने का ! दोनों कार्य एक ही प्रश्न और प्रज्ञा का पक्ष करना और उनको कष्ट से युक्त करना अफसरों का कर्तव है। बलवान का धर्म यही है कि वह दुर्यल की रक्षा करे। परन्तु इन हक पर कुछ भी ध्यान नहीं दिया जाता!! इस बात का कुछ उक्त राष्ट्र का यही अर्थ किया है। भी विका are aspects of the same question and of the same duty." Lord Curzon's speach at Burrakur, Japlary ice!