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पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१४९

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मिस्टर ए० प्रो० य म । अच्छी तरह पंग पग पर भय था परन्तु गयादीन नागा एक सिपाही को शहर के प्रतिष्ठित पुरुषों ने ह्यूम साहय को मागरे पहुंचा देने का काम सौंपा। गंयांदीन ने यही सुगी के साथ भारत के प्यारे घूम को प्रागरे पहुंचाने का भार अपने ऊपर लिया । गयादीन ने घूम साहब को, मुसलमानी ढंग के वस्त्र पहनाए और अपने साथ एक और आदमी को ले लिपा । गयादीन ने रास्ते में य म मादय को अपने और अपने सोथी के बीच में कर लिया। इस प्रकार घड़ी चलाकी के साथ झूम साहय ने इस संकट से छुटकारा पाया। भारतवासियों के साथ अच्छा सलूक करने और उनपर कृपा रखने से वे संकट पहने पर किस प्रकार सहायता पहुंचाते हैं यह बात राम साहब को मालम हो गई । उसी दिन से वे भारतवासियों पर अधिक प्रेम प्रगट करने लगे। इस बात को वे सदैव, प्रानन्द पूर्वक बड़ी खुशी के साथ, मौक़ा भानेपर, लोगों से कहते हैं । इसी उपकार का बदला चुकाने के लिए ही, शायद उन्होंने भारत की भलाई के लिए, नेशनल कांग्रेस की स्थापना की हो; ऐसी शंका का . लोगों के उत्पन्न होना एक सहज बात है। परन्तु नहीं, वे बड़े दयालू महात्मा पुरुष हैं; भारत में. जिम समय विद्रोह हुआ उस समय:भारत के विद्रोही लोग उनको मार डालना चाहते थे । बहुत से लोग उनकी जान के रुवहां थे। चन्द प्राद- मियों ने ही उनकी जान बचाई थी। यदि उनके दिल में भारत की भलाई. का स्वाभाविक अंकुर न होता तो ये कभी नेशनल कांग्रेस की स्थापना का उद्योग न करते । महात्मा लोग दूमरे के दुःख को देखते हैं, उपफार अपकार की ओर उनका ध्यान नहीं जाता । “विभुक्षितं किंन करोति पापम्" भूखा क्या पाप नहीं करता। यदि भारतवासियों से विभुक्षित दशा में कुछ पाप बन पड़े तो क्या वह क्षमा करने योग्य नहीं हैं? जब मनुष्य भूखा होता है, उस समय उसे कुछ नहीं सूझता। उसका विवेक जाता रहता है। यदि उस समय उससे कुछ पाप मन पड़े तो क्या उस पर दया नहीं दिखाना चाहिए ? शायद उ म साहब ने यही सब: पाते ' सोच : कर; भूस्खों के अपराध को : क्षमा करके केवल दया के