पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१५०

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फांग्रेस-चरितावली। - - विचार से कि किसी प्रकार भारतवासियों को रोटी मिले श्रीरघे सुखी रह कर ब्रिटिश सरकार को सदैव सहायता पहुंचाते रहें इसी उद्देश से, भेशनल कांग्रेस की स्थापना की हो।हमारी समझ में तो यही प्राता है। • घटावे में जो विद्रोही लोग थे वह इटाये में लूट लाट कर दिल्ली की घोर पले गए । इम पारगा इटावे में कुछ दिनों के लिए शान्ति हो गई और राम साहब फिर इटावा में प्राकर रहने लगे। परन्तु थोड़े दिनों बाद ही फिर पटावे में विद्रोह उठ खड़ा हुमा । यह देख कर घूम साहय ने राजा लदमण सिंह और कुंवर जोर सिंह के साथ - फरीय ३२ खी और चालकों को मागरे भेज दिया। येखी और बालक उन अंगरेजों के थे जो उस समय इटावे के जिले में कुछ न कुछ सरकारी काम काज करते थे। राजा लक्ष्मण सिंह उस समय इटावे में तहसील- दार थे । ह्यूम साहय की उनपर बड़ी कृपा थी। ह्यूम साहब के वे विश्वास . पात्र थे। इसी तरह कंवर ज़ोरसिंह का दाल था । प्रशंगवशात हम यहां पर इन दोनों सज्जनों का थोड़ा सा हाल पाठकों के जानने के लिए देते हैं । राजा लक्ष्मण सिंह का नाम हिंदी भाषा जानने वालों से छिपा नहीं है। आपने कालिदास के मेघ दूत, शकुन्तला और रघुवंश का हिंदी बनायदं करके यहुत कुछ कीर्ति लाभ की है। आपके द्वारा अनुवादित पुस्तकों को हिन्दी पढ़ने वाले लोग बड़ी खुशी के साथ पढ़ते हैं। आपको पुस्तों को बड़े बड़े अंगरेज़ों ने भी तारीफ की है। आपका. शकुन्तला नाटक सिवलसर्विस की परीक्षा देने वालों को पढ़ाया जाता है। इसी से आपकी पुस्तकों की उत्तमता का बहुत · कुछ पता चल सकता है। आप आगरे के रहने वाले थे। यहुत दिनों तक आपने सरकारी सेवा की। बाद को डिप्टी कलेकर. के पद से आपने पेन्शन ली। ग़दर में. म साहय को मापने बहुत सहायता पहुंघाई थी इसी कारण सरकार ने. इन्हें बहुत कुछ पुरस्कार दिया। राजा पदवी भ ने ही ने उनको दी थी। यह पदवी दी। केवल लक्ष्मण सिंह के नाम के भय भी उनके दो पुत्र नागरे में मोज़