पढ़कर तिजारत करेंगे, वे ही भविष्यत में सुखी रहेंगे; श्राप सोच समझकर (८) कांग्रेस-चरिताय ली। कलेकर ये सम समय की कई एक बातें उनकी जानने योग्य हैं। हमारा स्थान इटाये जिले में ही हैं। प्रतएय हमारे गांय के कई एक बूढ़े बू सज्जन बहुधा ह्यूम साहय की बातें कहा करते हैं। हयूम साहब की दयालुता के यारे में गाय वे कुछ कहने लगते हैं तब उनके प्रांसू निकल आते हैं । वे घूम साहय का नाम और · उस ज़माने का उनका काम जानते हैं परन्तु हयूम साहय अब उनके देश के लिए पा कर रहे हैं वे इस बात को बिलकुल नहीं जानते। हमने एक यार एक सज्जन से यों ही हा म साहय की याते निकलने पर कहा कि यू म साहब अभी ज़िन्दा हैं और हिन्दोस्थान की भलाई के लिए ये कांग्रेस में काम करते हैं। यह जान कर उस वृद्ध को बड़ा आश्चर्य और आनन्द हुना। उसने बड़े ताज्जुब से पूछा कि क्या हमारे हपूम साहय प्रध तक जीते हैं ? वे यहां हैं ? क्या हम उन्हें देख सकते हैं ? जब हमने उसके सब सवालों का जवाब दे दिया तय उसने कहा कि इयूम साहब खेत बोने, हल चलाने और किस प्रकार नाज ज्यादा पैदा हो सकता है इस यायत जब वे गांव में भाते थे तब बड़े धीरज के साथ हम सबों को समझाते थे। जिस ज़माने में इटावे में घूम साहब के नाम से 'घुमगंज' बनता था उस समय ह्यूम साहब ने हमारे गांव के एक ठाकुर साहब से बुला: कर कहा कि आप भी इस गंज में दस पांच दुकानें बनवा लें इस में आप के लटके तिजारत का काम कर सकेंगे, और आपको किराया मिलेगा। इस पर ठाकुर साहय ने कहा कि “साहब ! यह काम बनियों का है । हमारी औलाद से दुकानदारी का काम न होगा। हन तो ज़मींदारी और सिपाहगिरीका काम कर सकते हैं। यही काम हमारी औलाद कर सकेगी । बनियों का काम उससे न होगा। साहय ने फिर कहा "ठाकुर साहय ! प्राप भूलते हैं, आपकी सिपाहगिरी और ज़िमींदारी की अब कदर न रहेगी। जो तिजारत पेशा होंगे, विद्या ही प्राप
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