पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/५०

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३२ कांग्रेस-चरितावली। . त यहुत पोड़ी थी। परन्तु जो भाय आपने अपने लिखे हुए नियंध में प्रदर्शित फिए उन से आप की मार्मिकता और बुद्धिमता का पूरा पूरा पता लगता है। जिस दिन से मेहता महोदय विलायत से बैरिस्टरी पास होकर यम्यई वापस आए उसी दिन उनके परम पूज्य अध्यापक-सर ए० ग्रांट-को मान पत्र देने के लिए 'फ़ाम जी कायस जी इन्स्टिट्यूट, हाल में सभा होने वाली थी। सर ग्रांट, एहन वरी विश्वविद्यालय के मुख्याध्यापक नियत हुए अतएव वह विलायत जाने को तय्यार थे। यह बात मेहता को जहाज पर से उतरते ही मालूम हुई । आप तुरन्त ही सभा में जाकर हाजिर हुए। सर ए० ग्रांट, मेहता महोदय को देख कर बहुत प्रसन्न हुए। फीरोजशाह मेहता बम्बई आकर अपना बैरिस्टरी का काम करने लगे। बैरिस्टरी के काम में उन्हें जैसे जैसे अनुभव माप्त होता गया वैसे वैसे लाभ और यश भी प्राप्त हुआ। आज कल बम्बई के प्रसिद्ध प्रसिद्ध वैरिस्टरों में पाप का भी नाम है। मेहता महोदय अन्य वकीलों की तरह, केवल पेट पालनार्थ ही काम नहीं करते। आप अपनी जन्मभूमि भारत के हित के लिए यथासाध्य उद्योग किया करते हैं । मन, वचन, कर्म द्वारा राष्ट्रीय हित साधन के प्रयत्न में, आप अपना बहुत सा समय लगाते हैं। श्राप जितने' काम करते हैं उन सबों में देश की भलाई का काम सब से श्रेष्ठ समझते हैं। सब से पहिले देशहित का काम आप ने यह किया कि, सन् १८६८ में, श्राप ने भारत के प्रसिद्ध वृद्धभक्त दादाभाई नौरोज़ी को द्रव्य द्वारा सहा- यता पहुंचाई । प्राय स्वतः धन देकर ही सन्तुष्ट न हुए । बम्बई के बड़े बड़े सेठ साहूकारों से भी प्राप ने दादाभाई को धन की सहायता दिल- वाई । इस काम में आप को बहुत ही बड़ा यश प्राप्त हुमा । और प्राप की कीर्ति का प्रसार भारम्भ हुमा । सन् १८६८ में, बम्बई के गवरनर सर वाल्टर फियर ने बम्बई नगर के लोगों को प्रात्म-शासन प्रणाली के अधिकार प्रदान किए । इसके दो !