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पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/६१

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वायू सुरेन्द्रनाथ बनी। ४५ 1 उमर के झगड़े में बाबू सुरेन्द्रनाथ का एक वर्ष में गया। इस कारण दो वर्ष की पढ़ाई झाप को एक धर्ष में पढ़नी पड़ी। परन्तु मापने बहुत ही अधिक परिश्रम फरके पास फर लिया। यायू सुरेन्द्रनाथ पर कई एक बार अनेक सङ्कट पड़े परन्तु आपने सारे सङ्कटों को हंसी सुशी के साथ काट डाला। सिविल सर्विस परीक्षा पास हो जाने के याद आप सिलहट जिले में असिस्टेंट मजिस्ट्रेट नियत हुए। दो वर्ष भी आपने इस जगह पर काम न कर पाया कि श्राप के ऊपर एक सङ्कट और भापड़ा। एक बार आपके सामने एक मुकदमा पेश हुमा । यह मुफ़दमा 'फरारो' की फेह- रिस्त में बिना लिये हुए मुलज़िम के नाम प्राप ने अपने दस्तख़त से वारंट जारी कर दिया। इस प्रकार अव्यवस्था के कारण विचार में आप ने झूठी प्रतिज्ञा की इस बायत भाप पर मुकदमा फ़ायम हुआ। अगर इसी प्रकार छोटी छोटी बातों पर सरकार ध्यान देगी तो कोई अधि. कारी निरपराधी साबित न होगा क्योंकि ऐसा होना असम्भव है। मनुष्य से ग़लती होती है। उस ग़लती पर विचार पूर्वक ध्यान करके तय कुछ करना चाहिए। हां, सरकार अथवा प्रणा के साथ कोई अन्याय अथवा अत्याचार हो तो दूसरी बात है। बायू सुरेन्द्रनाथ ने यह बात साफ़ साफ़ कह दी कि अझकर ऐसा नहीं किया। और काग़ज़ों के साथ यह भी हमारे सामने दस्तख़तों को पेश हुआ और हमने काग़ज़ात की रू से उन पर भी मामूलन् दस्तखत कर दिए । परन्तु सरकार को आपके इतना कहने पर भी समा. धान न हुआ। सरकारी अधिकारियों ने बहुत कुछ खोज करके छोटे बड़े कुल १४ अपराध आपके ऊपर कायम किए । बाबू सुरेन्द्रनाथ ने. भारत सरकार से दो बार यह विनय की कि हमारे अपराधों की जांच कलकत्ते में होनी चाहिए जिससे कि हमें अपने मित्रवों से सलाह लेने का मौका मिले। परन्तु सरकार ने इस पर कुछ ध्यान न देकर आप के अप. राधों की जांध एक कमीशन द्वारा करवाई । उस कमीशन के मुख्याधि- ने जान