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पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/७५

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मिस्टर सी० शंकरन् नाय्यर बी०ए० बी० एल०। . –:+:x:x:x:+::- विवेकः सह सम्पत्या विनयो विद्यया सह । मभुत्वं प्रश्रयोपेतं चिमेतन्महात्मनाम् ।। * हों के बड़े ही उपजते हैं' यह कहावत बहुत ठीक है । इसी 'ब कारण इस देश में लोग सब से पहले कुल का परिचय प्राप्त करते हैं। मिलने जुलने पर यहुधा लोग यही प्रश्न करते हैं कि आपका जन्म किस कुल में हुआ है ? इसका कारण यही विदित होता है कि जिसका जन्म उच्च कुल में हुआ है उससे सिवाय लाभ के कभी किसी की हानि नहीं होगी। अतएव कवि ने इसी अभि- प्राय से विवेक, नम्रता और निरभिमानता होना महात्माओं के लक्षण घतलाए हैं । क्योंकि महात्मा लोगों के वंशज ही उच्च कुल के कहलाते हैं। भारत में आजकल जितने लोग उच्च कुल के कहलाते हैं वे किसी न किसी महात्मा के वंशज ही हैं। अतएव अय हम एक मदरास प्रान्तवासी, परोपकारी, देश हितैपी सज्जन का चरित अपने पाठकों को सुनाते हैं। मिस्टर शंकरन् नाय्यर का जन्म सन् १८५७ में हुआ । भाप के पिता मदरास प्रान्त के रायली पानिकर नाम के स्थान में तहसीलदार चे। हम इनका अधिक परिचय पाठकों को दिलाना चाहते हैं। क्योंकि .मदरास प्रान्त के निवासी होकर भी उन्हें हिन्दुस्तानी भाषा (हिन्दी) का ऐसा अच्छा जान था कि वे उसे अच्छी तरह उपयोग में ला सकते थे। इसी कारण वे यूरोपियन अधिकारियों के अधिक काम के थे। उन्हें अंगरेज़ी का ज्ञान बिलकुल नहीं था तो भी उन्होंने हिन्दी भाषा की

  • सम्पत्ति पाकर विवेक, विद्या पाकर नम्रता, प्रभुता पाफर निर-

भिमान होना ये. महात्मानों के लक्षण हैं।