18 काजर की कोठरी सगे भतीजा-राजाजी, पारसनाथ धरनीधर और दौलतसिंह का या उनमे से उस वक्त जो हो, हर हो जाएगा और बाकी के आधे हिस्से पर सरला के उस पति का अधिकार होगा जिसके साथ कि वह मेरी इच्छा के विरुद्ध शादी करेगी। हा, अगर शादी होन के पहिले सग्ला को हरनदन की बदचलनी का कोई सबूत मिल जाय तो उसे अख्तियार हागा कि जिसके साथ जी चाहे शादी करे । उस अवस्था मे सरला को मेरी कुल जायदाद पर उसी तरह अधिकार होगा जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है। अगर शादी के बाद हरनन्दनसिंह की बदचलनी का कोई सबूत पाया जाय तो सरला को आवश्यक होगा कि उसे अपनी मैनेजरी से खारिज कर दे और अपनी कुल जायदाद राजा के सपुद करने काशी चली जाय और वहा केवल एक हजार रुपै महीना राजा से लेकर तीयवास करे और यदि ऐसा न करे तो राजा को (जोउस वक्तमे यहावा मालिक हो) जबरदस्ती ऐसा करने का अधिकार होगा। (६) सरला के बाद सरला की सम्पत्ति का मालिक धम्मशास्त्रानुसार होगा। जायदाद की फिहरिस्त और तारीख इत्यादि इस वसीयतनामे के पदने ही से पाठक समझ गये होगे कि लालसिंह कैसी तबीयत का आदमी और अपनी जिद्द का कसा पूरा या। इस समय उसने जब यकायक सरला के गायब होने का हाल लौंडी की जुबानी सुना तो उसके कलेजे पर एक चोट-सी लगी और वह घबडाया हुआ मकान के अदर चला गया जहा औरतो में विचित्र ढग की घबडाहट फैली हुई थी। सरला की मा उस कोठडी में बेहोश पड़ी हुई थी जिसमे से सरला यकायक गायव हो गई थी और जहा उसके बदले में चारो तरफ खून के छोटे और निशान दिखाई दे रहे थे। कई औरतें उस वेचारी के पास वठी हुई रो रही थी, कई उसे होश में लाने की फिक्र कर रही थी, और कई इस आगामे वि कदाचित् सरला कहीं मिल जाप, सर-नीचे और मकान के कोनो मे घूम
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