पृष्ठ:काजर की कोठरी.djvu/४१

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काजर की कोठरी 41 1 नहीं चाहता था कि वादी के घर में कभी पर रखे, मगर उसके बाप कल्याणसिंह ने उसे बहुत समझाया चौर बादी के साथ चालबाजी करने का रास्ता बताया तथा इस काम में मैंने भी उसे ताकीद की, तब लाचार होकर उसने बादी के यहा आना-जाना शुरू किया और ऐसा करन के बाद उसे बहुत सी बातो का पता लगा। लाल० (कुछ सोच कर) बेशक ऐसा ही होगा, क्योकि इस काम म पारसनाथ ही मुझसे ज्यादे बातें क्यिा भी करता है। सूरज० अगर आप मुनासिब समझें तो वे बातें भी कह सुनाव जो पारसनाथ ने इस विषय में आपसे कही हैं क्योंकि मैं उन बातो स हरन दन को होशियार रूगा और तब वर अपना काम और भी जल्दी तथा खबसूरती के साथ निकाल सकेगा। लाल० वेशक मैं उसकी बातें आपका सुनामगा और आपसे राय करूगा कि अब मुझे क्या करना चाहिए । इतना कहकर लालसिंह - पारसनाथ की बिल्कुल बातें जो ऊपर के बयानों में लिखी जा चुकी है सूरजसिंह से बयान की और इसके बाद पूछा कि 'अब मुझे क्या करना चाहिए सूरज इस बात को तो आप भी समझते होगे कि रडिया कसी चालबाज और शैतान होती है तथा बडे-बडे घरों को थोडे ही दिनो म बर्बाद कर देने की शक्ति जाम कितनी ज्यादे होती है, क्योकि आप अपनी नौजवानी का कुछ हिस्सा इन लोगो की सोहबत मे गवा कर हर तरह से होशियार हो चुके हैं। लाल. जी हा, मैं इस पम्बख्ता वी परतूतो से खूब वाकिफ हूँ । ऐस हो कोई सरस्वती के कृपा पात्र होत हैं जो इसके फन्दे मे अपने का बचाले पाते हैं नहीं तो केवल लमी के कृपापात्रो वा तो ये लोग लक्ष्मी का वाहन ही धना कर दम लेती हैं। तिसम भी उन रण्डियो मे ता ईश्वर ही वचावे तो कोई बच मक्ता है जिनके यहा नायिकाओं की प्रधानता बनी हुई हो। ?" 1 १ राल्या का बहिया मा-नानी इत्यादि नापिरा कलाती है।