राजर की पाठरी 57 ग्ज हुना होगा और मुगे भी इस बात का बहुत सयाल था, मगर लाचारी है कि वहा एक आदमी न पहुच कर चाचा साहब के मिजाज का रग ही बदल दिया और अब वह दूसरे ढग मे बातें करने लग। बग्दी (गल मे से हाथ हटा पर) तो कुछ पहो भी 11 मही। पारस. परमा रात पो आदमी चाचा माहब के पाम आया और उह अपन साथ यही ले भी गय तथा जब से व लौट कर घर आए + तभी से उनप मिजाज का र ग बुध पदता हुआ दिग्पाई दता है । वादी यह आदमी को था? पारस० जपमोस । अगर उम आदमी का पनाही लग जाना ता इतनी कवाहत क्या होती । में उममा ठीक इलाज करता। वादी ता क्या क्सिी उमे देवा न था ? पारय देखा ता मही मगर वह ऐम ढग पर ग्याह कपडा आर वर आया था कि काई उसे पहिचान न मा। सुवह को जब मैं चाचा माहब के पास गया ता उनम कहानि नाज हग्न दन को बादी ने यहा दिखा देन का पूरा पूरा पदोवस्त हा गया है मगर उ हान इस बात पर विशेष ध्यान न दिया और बाल कि हरन दन को रडी पे यहा देखने स फायदा हो क्या होगा जव ता वि इस बात का पूरा पूरा सबूत न मिल नाय कि मरला रा नकलीफ पहुचान का सबब वही हरन दन है।' इसक चा मुयसे और उनसे दर तक बाते होती रही मैंन वहत तरह से मम पाया मगर नवे दिल मन बैठी। वादी ठीक ह मगर फिर भी मै नही बात बहूगी कि तुम्हार चाचा का ग्वयान कल स नहीं बदना वकि कई दिन पहिले ही से बदल गया है। जब कि एन दन के वाप न का-गा सूखा जवाब दे दिया और हरन दन खल्लम-खुल्ला रडिया प यहा आन-जान नगा तब वे हरन दन का कर ही क्या परे है और ताज्जुब नहीं कि उह हरन दन की इस नई चालचलन का पता लग भी गया हो। ऐसी हालत में तुम्हारा सम चाचा रुपया क्यो खच करन लगा ? जव ता जहा तक जल्द हो सवे मरला को शादी किसी के साथ हो जानी चाहिये। हा मैंने तो आग यह भी सुना 'दि तुम्हारा चाचा दूसरा वसीयतनामा तैयार कर रहा है।
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