पृष्ठ:काजर की कोठरी.djvu/५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

58 काजर की कारी ? . 1 पारम० (चौक बर) यह तुमसे क्सिन कहा वादी आज राजा साहब का एक मुसाहब अपन लडके की शादी म नाचने के लिए 'बीडा' दने के वास्ते मेरे यहा आया था। वही इस बात का जिक्र करता था। उसका नाम तो में इस वक्त भूल गई, अम्मा को याद होगा। पारम० अगर ऐमा हुआ ता बड़ी मुश्किल होगी। वादी वशक पारस० भला यह भी कुछ मालूम हुआ कि दुगर बसीयतनाम म उसने क्या लिखाह? वादी तुम भी अजय 'ऊद हा ' भला इस बात का जवाब मैं क्या 7 सकती है और मैं उस कहन वाले स पूछ भी क्याकर सकता थी ? पारस० ठीक है (कुछ साच बर) अगर यह बात ठीक है ता मै समझता हूँ कि अपने चाचा को जहनुम में पहुचा देन के सिवाय मरे लिए और कोई उचित काय नहीं है। बादी अब इन सब वाता वो तुम ही समझा मगर में यह पूछनी है कि अब तक तुमने सरला की शादी का इतजाम क्या नहीं किया। अगर वह हो जाती तो सब वखेडा ही ते था। पारस ठीक है मगर जब तब सरला शादी करन पर दिल स राजा न हो जाय तब तक हमारा मतलब नही निकलता। मान लिया जाय गि अगर मन उसकी शादी जबदस्ती किसी यमाय बर दी और प्रगट होन पर उसने इस बात का हल्ला मचा दिया कि मेरे माथ जवदम्ती की गई तब मेरे लिए कहत पुराई पदा हा नायगी और शादी हा जानन बार भी उस छिपाये रहना उचित नहीं होगा। ताज्जुब नहीं कि बहत दिना तब सरला का पता न लगने के कारण मेग चचा उमपी नरफ स नाउम्मी- होकर अपनी बुल जायदाद खैरात कर दे या कोई दूसरा वसीयतनामा ही लिख दे। हमारा काम तो तब बन वि मग्ला शादी होन ने वाद एर स्फे विगी व के सामन कह दे कि हा यह शादी मेरी इन्छानुसार हुई ।' इसके अतिरिक्त हमारी गुप्त कमेटी न भी यही निश्चय दिया है कि नचा गार वो किसी तरह खतम बर दना चाहिए जिगम उह दूसरा