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पृष्ठ:कामना.djvu/१३१

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कामना
 

विवेक-नही माँ, जा बड़े-बूढ़ो को बुला ला।

बालिका-परंतु-

विवेक-हाय रे पाप। इन निरीह बालको में भी विश्वास का अभाव हो गया है। विश्वास करो माँ, बुला लो।

(बालिका जाती है, चार वृद्ध और युवक आते है)

विवेक-मै उसी शापित देश का हूँ, जिसमे सोने की ज्वाला धधक उठी है, मदिरा की बन्या बाढ़ पर है। क्या मुझ पर विश्वास करोगे?

युवक-कहो, तुम्हारा प्रयोजन सुन लें।

विवेक-हमारे और तुम्हारे देश की सीमा मे एक नया राज्य स्थापित हो गया है। वह हमारे देश के विद्रोहियों का एक घृणित संगठन है। उसने अत्याचार का ठेका ले लिया है। उससे क्या हम-तुम दोनो बचना चाहते हैं?

युवक-परंतु उपाय क्या है?

विवेक-हम लोगों को भाई समझकर मित्र-भाव की स्थापना करो, और इनके अत्याचारों से रक्षा करो। हम परस्पर दूसरे के सहायक हो।

युवक-किस प्रकार?

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