यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अंक ३, दृश्य ८
शत्रु-सैनिक-सुंदरी लालसा, तुम स्त्री हो या पिशाचिनी?
लालसा-जा, जा, मर।
(दोनों को बाँधकर तीर मारे जाते हैं)
(एक सैनिक का प्रवेश)
सैनिक-रानी, द्वेष ने मुझे सोते में छुरा मारकर घायल किया है। न्याय कीजिये।
दूसरा-प्रमदा मेरे आभूषणों की पेटी लेकर दुर्वृत्त के साथ भाग गई। उससे मेरे आभूषण दिला दिये जायें।
तीसरा-रानी, मै बड़ा दुखी हूँ। मेरा मदिरा का पात्र किसी ने चुरा लिया। मैं बड़े कष्ट से रात बिताता हूँ।
चौथा-नवीना मेरी विश्वासपात्र प्रेमिका बनकर गहने के लोभ से स्वर्णभूति के साथ जाने के लिए तैयार है। उसे समझा दिया जाय, अन्यथा मै आत्महत्या करूँगा।
पाँचवाँ-रानी, मेरा लड़का सब धन बेचकर मदिरा पी आता है, उससे मेरा सम्बंध छुड़ा दिया जाय।
१३१