पृष्ठ:कामना.djvu/१३५

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कामना
 


ली जाती, तो उस दिन के युद्ध में हम लोगों को पराजित होना पड़ता।

लालसा-और सीमा पर मै इस पुरुष से मिली। यदि मैं इसे भुलावा देकर न ले आती, तो यह मेरा बड़ा अपमान करता, जो इस जाति के लिए बड़े कलंक की बात होती।

रानी-विलास!

विलास-कुछ नहीं रानी, इन्हें प्राणदंड?

लालसा-इनसे पूछने की क्या आवश्यकता है? हम लोगो का कहना ही क्या इनके लिए यथेष्ट प्रमाण नहीं है?

सब सैनिक-हाँ, हाँ, सेनापति का अनुरोध अवश्य माना जाय।

कामना-तब मुझे कुछ कहना नहीं है।

विलास-(सैनिकों से) दोनो को इसी वृक्ष से बाँध दो, और तीर मारो।

स्त्री-क्यों शत्रु-सेनापति! स्त्री पर अत्याचार न कर पाने पर उसका प्राण लेना ही न्याय है? परंतु प्राण तुम ले सकते हो, मेरा अमूल्य धन नहीं।

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