कुछ लोग-हम लोग यहीं नगर बसाकर रहेंगे।
एक-और तुम हमारे राजा बनो।
(वह गिरा हुआ मुकुट उसे पहनाता है। लालसा भी रानी का स्थान ग्रहण करने के लिए आगे बढ़ती है। 'ठहरो-ठहरो' कहते हुए दोनों ओर से सैनिकों के साथ संतोष का प्रवेश)
विवेक-सन्तोष! तुमने बहुत विलम्ब किया।
आगन्तुक सैनिक-क्या, यह हत्या? तुम हत्या करके भी यह साहस करते हो कि हम लोग तुम्हें अपना सर्वस्व मानें| यह ठीक है कि हम लोगों को विधि-निषेधात्मक एक सर्वमान्य सत्ता की अब आवश्यकता हो गई है; परंतु तुम कदापि इसके योग्य नहीं हो। सोने से लदी हुई लालसा रानी! और मदिरा से उन्मत्त विलास राजा!! आश्चर्य!!
(विलास के साथी सैनिक भी स्वर्ण और अस्त्र रख देते हैं)
कामना-सन्तोष! प्रिय सन्तोष! सन्तोष-मेरी मधुर कामना-
(दोनों हाथ पकड़ लेता है)
विलास-तब लालसा?
लालसा-अनंत समुद्र मे, काल के काले परदे में, कहीं तो स्थान मिलेगा-चलो विलास।
(दोनो जाते हैं)