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पृष्ठ:कामना.djvu/१४३

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सुबोध काव्य-माला

१-विद्यापति की पदावली

अखिल-भारतवर्षीय हिन्दी-साहित्य सम्मेलन की उत्तमा-परीक्षा में स्वीकृत पाठ्यग्रंथ

सम्पादक-श्रीरामवृक्ष शर्मा बेनीपुरी, 'बालक'-सम्पादक

मासिकपत्रों की महारानी 'माधुरी' लिखती है-इस पुस्तक में मैथिल-कोकिल विद्यापति के २६५ पद्यों का संग्रह है। इसमें कोई संदेह नहीं कि शृंगारी कवियों मे उनका उच्च स्थान है। तीन-तीन प्रान्तों में उनकी कविता का आदर है। उनकी भाषा में जो माधुर्य है, वह अलंकृत-काल के अनेक कवियों में, अस्वाभाविक रूप से प्रयत्न करने पर भी, नहीं आया। उनकी कविता में स्वाभाविकता का सर्वत्र प्रमाण मिलता है। हिन्दी शृंगारी कवियों में 'हृदय-हीनता' का जो दोषारोपण किया जाता है, उससे वह सर्वथा विमुक्त हैं। प्रस्तुत पुस्तक में, आरम्भ के ५० पृष्ठों में, विद्यापति का परिचय दिया गया है। उनके सम्बन्ध में जितनी जानने योग्य बातें हैं, उन सबका बहुत अच्छी तरह विवेचन किया गया है। भारतीय कला के सुप्रसिद्ध चित्रकार धुरंधर महाशय के ९ चित्रों ने इस पुस्तक की शोभा को कई गुना बढ़ाकर काव्य और चित्रकला का परस्पर गहन सम्बन्ध पूर्ण रीति से प्रगट कर दिया है। यह संस्करण बहुत ही अच्छा निकला। पाद-टिप्पणियाँ बहुत ही उपयोगी हैं। इस संस्करण की उपयोगिता के विषय