प्रतिभा सम्पन्न थे यह सर्वमान्य बात है। बँगला-काव्य-क्षेत्र में उन्होंने एक नवीन पथ का प्रवर्तन किया है। उनका जीवनचरित्र लिखकर अच्छा काम किया गया है। 'मतवाला' कहता है—अवश्य संग्रह योग्य है, अवश्य पढ़ने लायक है। सचित्र, मू॰ ।)
५—गुरु गोविन्दसिंह
लेखक—श्रीरामवृक्ष शर्मा बेनीपुरी, 'बालक'-सम्पादक
यह पंजाब के उसी जगत्प्रसिद्ध सिक्खगुरु वीर-शिरोमणि गोविन्दसिंह की ओजस्विनी जीवनी है, जिन्होंने मुगल-साम्राज्य की नींव हिलाकर अपने अलौकिक पुरुषार्थ से भारत में सिक्ख-सम्प्रदाय की विजय-पताका फहरा दी थी। बड़ी ही जोरदार भाषा में लिखी गई है। सचित्र, मूल्य ।)
६—शेरशाह
लेखक—साहित्य-भूषण श्रीरामनाथलाल 'सुमन'
हिन्दी में अभी तक शेरशाह-जैसे सुयोग्य शासक की कोई जीवनी नहीं निकली है। सुमनजी-सरीखे मननशील और खोजी लेखक ने अँगरेजी के अनेक प्रामाणिक इतिहासग्रन्थों के आधार पर इसे लिखा है। शेरशाह कैसा न्यायी और प्रजाप्रेमी बादशाह था—उसके राज्य में शान्ति और सुव्यवस्था का कैसा जबरदस्त सिक्का जमा हुआ था—अपनी कैसी शासनप्रणाली के कारण वह एक अद्वितीय मुसलमान शासक था, यह सब जानना हो तो इस जीवनी को अवश्य पढ़िये। मूल्य ।)
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