पृष्ठ:कामना.djvu/५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अंक २,दृश्य १
 

आगंतुक--बात तो अच्छी है।

विलास--अच्छा, सब लोग भयानक चीत्कार करो, जिससे पशु निकलेंगे, और तब तुम लोग उन पर तीर चलाना।

सब--(आश्चर्य से) ऐसा।

विलास--हाँ।

(सब चिल्लाते हैं, ताली पीटते है, पशुओ का भीतर दौड़ना, तीर लगना और छटपटाना)

सब--बड़ा विचित्र खेल है।

विलास--खेल ही नहीं, यह व्यायाम भी है।

कामना--परंतु विलास, देखो यह हरी-हरी घास रक्त से लाल रॅगी जाकर भयानक हो उठी है, यहाँ का पवन भाराक्रांत होकर दबे-पाँव चलने लगा है।

विलास--अभी तुमको अभ्यास नहीं है रानी। चलो विनोद, सबको लिवाकर तुम चलो।

(विलास और कामना को छोड़कर और सब जाते है)

कामना--विलास!

विलास--रानी!

कामना--तुमने ब्याह नहीं किया।

विलास--किससे?

४७