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पृष्ठ:कामना.djvu/६१

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कामना


या संग्रहालय मे रक्खे जायें । फिर यह निश्चित हुआ कि नहीं, मित्र-कुटुम्ब के लिए जो नया घर बन रहा है, उसी में रखना चाहिये । और, उन शिकारियों को वहाँ रक्षक नियत किया गया है।

लीला-इस विचार-योजना मे कुछ-न-कुछ तुम्हे मिलेगा।

विनोद-परंतु लीला, हम लोग कहाँ चले जा रहे हैं, कुछ समझ रही हो ? समझ मे आने की ये बाते हैं?

लीला-अच्छी तरह । ( मदिरा का पात्र भरती हुई ) कहीं नीचे, कहीं बड़े अंधकार में ।

विनोद-फिर मुझे क्यो प्रोत्साहित कर रही हो ?

(लीला पात्र मुंह से लगा देती है, विनोद पीता है)

लीला-आज तुम्हे गाना सुनाऊँगी।

विनोद-(मद-विह्वल होकर) सुनाओ प्रिये !

(लीला गाती है)

छटा कैसी सलोनी निराली है,
देखो आई घटा मतवाली है।
आओ साजन मधु पियें, पहन फूल के हार ;
फूल-सदृश यौवन खिला, है फूल की बहार ।
भरी फूलों से बेले की डाली है ॥ छटा० ॥

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