पृष्ठ:कामना.djvu/८१

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कामना

(रक्षकों के साथ रानी का प्रवेश । लालसा और लीला स्वागत करती हैं। संकेत करने पर सैनिक बाहर चले जाते हैं)

कामना-लालसा, तू लोगो से अब कम मिलती है, यह क्यो ?

लालसा-रानी, जी नहीं चाहता।

कामना-इसी से तो मै स्वयं चली आई।

लालसा-यह आपकी कृपा है कि प्रजा पर इतना अनुग्रह है।

लीला-रानी, इसे बड़ा दुःख है ।

कामना-मेरे राज्य मे दुःख ।

लालसा-हॉ रानी । मै अकेली हूँ। अपने स्वर्ण के लिए दिन-रात भयभीत रहती हूँ।

कामना-लालसा, सबके पास जब आवश्यकता- नुसार स्वर्ण हो जायगा, तभी यह अशांति दबेगी।

लालसा-रानी, यदि क्षमा मिले, तो एक उपाय बताऊँ।

रानी-हॉ-हाँ, कहो।

लालसा-यह तो सबको विदित है कि शांति- देव के पास बहुत सोना है। परंतु यह कोई नहीं जानता कि वह कहाँ से आया ।

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