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पृष्ठ:कामना.djvu/९२

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अंक २, दृश्य ८
 

कामना त्रस्त हो उस यूथ से अलग होकर खड़ी हो जाती और आश्चर्य तथा करुणा से देखती है)

छिपाओगी कैसे-
आँखें कहेगी।
बिथुरी अलक पकड़ लेती है
प्रेम की भाँख चुराओगी कैसे-
आँखें कहेगी।
राग-रक्त होते कपोल हैं
लेते ही नाम बताओगी कैसे-
आँखें कहेगी।

[यवनिका-पतन]

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