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पृष्ठ:कायाकल्प.djvu/१०५

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[कायाकल्प
 

योद्धा अभी तक तो मोरचे पर खड़े बन्दूकें छोड़ रहे थे, लेकिन इस भयंकर दल को सामने देखकर उनके औसान जाते रहे। दो-चार तो भागे, दो तीन मूर्छा खाकर गिर पड़े। केवल पाँच फौजी अफसर अपनी जगह पर डटे रहे। उन्हें बचने की कोई आशा न थी और इसी निराशा ने उन्हें अदम्य साहस प्रदान कर दिया था। वे जान पर खेले हुए थे। क्षण क्षण पर बन्दूक चलाते थे, मानो बन्दूक की कलें हों। जो आगे बढ़ता था, उनके अचूक निशाने का शिकार हो जाता था। इधर ढेले और पत्थरों की वर्षा हो रही थी, जो फाटक तक मुश्किल से पहुँचती थी। अब सामने पहुँच कर लोगों ने आगे बढ़कर पत्थर चलाने शुरू किये। यहाँ तक कि अँगरेज चोट खाकर गिर पड़े। एक का सिर फट गया था, दूसरे की बाँह टूट गयी थी। केवल तीन आदमी रह गये, और वही इन आदमियों को रोक रखने के लिए काफी थे। लेकिन उनके पास भी कारतूस न रह गये थे। कठिन समस्या थी। प्राण बचने की कोई आशा नहीं। भागने की कल्पना ही से उन्हें घृणा होती है। जिन मनुष्यों को हमेशा पैरों से ठुकराया किये, जिन्हें कुली कहते और कुत्तों से भी नीच समझते रहे, उनके सामने पीठ दिखाना ऐसा अपमान था, जिसे वे किसी तरह न सह सकते थे। इधर हड़तालियों के हौसले बढ़ते जाते थे। शिकार अब बेदम होकर गिरना चाहता था। हिंसा के मुँह से लार टपक रही थी।

एक आदमी ने कहा—हाँ बहादुरों, बस, एक हल्ले की और कसर है, घुस पड़ो। अब कहाँ जाते हैं।

दूसरा बोला—फाँसी तो पड़ेंगे ही, अब इन्हें क्यों छोड़ें।

सहसा एक आदमी पीछे से भीड़ को चीरता, बेतहाशा दौड़ता हुआ आकर बोला—बस, बस, क्या करते हो। ईश्वर के लिए हाथ रोको। क्या गजब करते हो! लोगों ने चकित होकर देखा, तो चक्रधर थे। सैकड़ों आदमो उन्मत्त होकर उनकी ओर दौड़े और उन्हें घेर लिया। जय-जयकार की ध्वनि से आकाश गूँजने लगा।

एक मजदूर ने कहा—हमें अपने एक सौ भाइयों के खून का बदला लेना है।

चक्रधर ने दोनों हाथ ऊपर उठाकर कहा—कोई एक कदम आगे न बढ़े। खबरदार।

मजदूर—यारो, बस, एक हल्ला और!

चक्रधर—हम फिर कहते हैं, अब एक कदम भी आगे न उठे।

जिले के मैजिस्ट्रेट मिस्टर जिम ने कहा—बाबू साहब, खुदा के लिए हमें बचाइए।

फौज के कप्तान मिस्टर सिम बोले—हम हमेशा आपको दुआ देगा। हम सरकार से आपका सिफारिश करेगा।

एक मजदूर—हमारे एक सौ जवान भून डाले, तब आप कहाँ थे? यारो, क्या खड़े हो, बाबूजी का क्या बिगड़ा है। मारे तो हम गये हैं न? मारो बढके।

चक्रधर ने उपद्रवियों के सामने खड़े होकर कहा—अगर तुम्हें खून की प्यास है, तो मैं हाजिर हूँ। मेरी लाश को पैरों से कुचलकर तभी तुम आगे बढ़ सकते हो।