पृष्ठ:कायाकल्प.djvu/१३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१५०
[कायाकल्प
 


दारोगा—जी हाँ, हुजूर! अभी उसी की बदौलत हमारी जान बची। जो जख्म उसके कन्धे में है, यह शायद इस वक्त मेरे सीने में होता।

जिम—इसने कैदियों को भड़काया होगा?

दारोगा—नहीं हुजूर, इसने तो कैदियों को समझा बुझाकर ठण्डा किया।

जिम—तुम कुछ नहीं समझता। यह लोग पहले कैदियों को भड़काता है, फिर उनकी तरफ से हाकिम लोगों से लड़ता है, जिसमें कैदी समझे कि यह हमारी तरफ से लड़ रहा है। यह कैदियों को मिलाने का हिकमत है। वह कैदियों को मिलाकर जेल का काम बन्द कर देना चाहता है।

दारोगा—देखने में तो हुजूर, बहुत सीधा मालूम होता है, दिल का हाल खुदा जाने।

जिम—खुदा के जानने से कुछ नहीं होगा, तुमको जानना चाहिए। तुमको हर एक कैदी पर निगाह रखनी चाहिए। यही तुम्हारा काम है। यह आदमी कैदियों से मजहब की बात चीत तो नहीं करता।

दारोगा—मजहबी बातें तो बहुत करता है, हुजूर! इसी से कैदियों ने उसे 'भगत' का लकब दे दिया है।

जिम—ओह! तब तो यह बहुत ही खतरनाक आदमी है। मजहबवाले आदमी पर बहुत कड़ी निगाह रखनी चाहिए। कोई पढ़ा लिखा आदमी दिल से मजहब को नहीं मानता। मजहब पढ़े लिखे आदमियों के लिये नहीं है। उनके लिए तो Ethics काफी है। जब कोई पढ़ा-लिखा आदमी मजहब की बात चीत करे, तो फौरन् समझ लो कि वह कोई साजिश करना चाहता है। Religion (धर्म) के साथ Politics (राजनीति) बहुत खतरनाक हो जाता है। यह आदमी कैदियों से बड़ी हमदर्दी करता होगा?

दारोगा—जी हाँ, हमेशा!

जिम—सरकारी हुक्म को खूब मानता होगा?

दारोगा—जी हाँ, हमेशा।

जिम—कभी कोई शिकायत न करता होगा? कड़े-से कड़े काम खुशी से करता होगा?

दारोगा—जी हाँ, शिकायत नहीं करता। ऐसा बेजबान आदमी तो मैंने कभी देखा ही नहीं।

जिम—ऐसा आदमी निहायत खौफनाक होता है। उस पर कभी एतबार नहीं करना चाहिए। हम इस पर मुकदमा चलायेगा। इसको बहुत कड़ी सजा देगा। सिपाहियों को दफ्तर में बुलाओ। हम सबका बयान लिखेगा।

दारोगा—हुजूर, पहले उसे डाक्टर साहब को तो दिखा लूँ। ऐसा न हो कि मर जाय, गुलाम को दाग लगे।

जिम—वह मरेगा नहीं। ऐसा खौफनाक आदमी कभी नहीं मरता, और मर भी जायगा, तो हमारा कोई नुकसान नहीं।