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कायाकल्प]
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था। चक्रधर के कन्धे पर संगीन का भरपूर हाथ पड़ा। आधी संगीन धँस गयी। दाहिने हाथ से कन्धे को पकड़कर बैठ गये। कैदियों ने उन्हें गिरते देखा, तो होश उड़ गये। आ-आकर उनके चारों तरफ खड़े हो गये। घोर अनर्थ की आशंका ने उन्हें स्तंभित कर दिया। भगत को चोट आ गयी—ये शब्द उनकी पशु-वृत्तियों को दबा बैठे। धन्नासिंह ने बन्दूक फेंक दी और फूट-फूटकर रोने लगा। मैंने भगत के प्राण लिये! जिस भगत ने गरीबों की रक्षा करने के लिए सजा पायी, जो हमेशा उनके लिए अफसरों से लड़ने को तैयार रहता था, जो नित्य उन्हें अच्छे रास्ते पर ले जाने की चेष्टा करता था, जो उनके बुरे व्यवहारों को हँस-हँसकर सह लेता था, वही भगत आज धन्नासिंह के हाथ जख्मी पड़ा है। धन्नासिंह को कई कैदी पकड़े हुए हैं। ग्लानि के आवेश में वह बार-बार चाहता है कि अपने को उनके हाथों से छुड़ाकर वही संगीन अपनी छाती में चुभा ले; लेकिन कैदियों ने इतने जोर से उसे जकड़ रखा है कि उसका कुछ बस नहीं चलता।

दारोगा ने मौका पाया तो सदर फाटक की तरफ दौड़े कि उसे खोल दूँ। धन्नासिंह ने देखा कि यह हजरत, जो सारे फिसाद की जड़ हैं, बेदाग बचे जाते हैं, तो उसकी हिंसक वृत्तियों ने इतना जोर मारा कि एक ही झटके में वह कैदियों के हाथों से मुक्त हो गया और बन्दूक उठाकर उनके पीछे दौड़ा। चक्रधर के खून का बदला लेना जरूरी था। करीब था कि दारोगाजी पर फिर वार पड़े कि चक्रधर फिर सँभलकर उठे और एक हाथ से अपना कन्धा पकड़े, लड़खड़ाते हुए चले। धन्नासिंह ने उन्हें आते देखा, तो उसके पाँव रुक गये। भगत अभी जीते हैं, इसकी उसे इतनी खुशी हुई कि वह बन्दूक फेंककर पीछे की ओर चला और उनके चरणों पर सिर रखकर रोने लगा। ऐसी सच्ची खुशी उसे अपने जीवन में कभी न हुई थी!

चक्रधर ने कहा—सिपाहियों को छोड़ दो।

धन्नासिंह—बहुत अच्छा, भैया? तुम्हारा जी कैसा है?

चक्रधर—देखना चाहिए, बचता हूँ या नहीं।

धन्नासिंह—दरोगा के बच जाने का कलंक रह गया।

सहसा मिस्टर जिम सशस्त्र पुलिस के साथ जेल में दाखिल हुए। उन्हें देखते ही सारे कैदी भर से भागे। केवल दो आदमी चक्रधर के पास खड़े रहे। धन्नासिह उनमें एक था। सिपाहियों ने भी छूटते ही अपनी अपनी बन्दूकें सँभाली और एक कतार में खड़े हो गये।

जिम—वेल दारोगा, क्या हाल है?

दारोगा—हुजूर के अकबाल से फतह हो गयी। कैदी भाग गये।

जिम—यह कौन आदमी पड़ा है?

दारोगा—इसी ने हम लोगों की मदद की है, हुजूर। चक्रधर नाम है।

जिम—अच्छा! यह चक्रधर है, जो बगावत के मामले में हमारे इजलास से सजा पाया था।