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पृष्ठ:कायाकल्प.djvu/१४५

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कायाकल्प]
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वटे-भर इधर-उधर घूमते रहे । ८ बजे वह लौटकर आये, तो मालूम हुआ, अभी साहब नहीं पाये । फिर लोटे, इसी तरह वह घण्टे घण्टे भर के बाद वह तीन बार पाये, मगर साहब बहादुर अभी तक न लौटे थे ।

सोचने लगे, इतनी रात गये अगर मुलाकात हो भी गयी, तो बात-चीत करने का मौका कहाँ। शराब के नशे में चूर होगा । आते ही आते सोने चला जायगा । मगर कम-से-कम मुझे देखकर इतना तो समझ जायगा कि वह वेचारे अभी तक खडे हैं । शायद दया श्रा जाय ।

एक बजे के करीब बग्यो की अावाज पायी। राजा साहब मोटर से उतरकर खडे हा गये । जिम भो फिटिन से उतरा । नशे से आँखे सुर्ख थी। लड़खड़ाता हुआ चल रहा था। राजा को देखते ही बोला-श्रो, श्रो, तुम यहाँ क्यो खड़ा है ? बाग जायो अभी जानो, वागो ।

राजा-हुजूर मैं हूँ राजा विशालसिंह ।

जिम-श्रो ! डैम राजा, अबी निकल जायो । तुम भी वागी है । तुम बागी का सिफारिश करता है. वागी को पनाह देता है। सरकार का दोस्त बनता है ! अबी निकल जायो । राजा और रैयत सब एक है । हम किसी पर भरोसा नहीं करता। हमको अपने जोर का भरोसा है । राजा का काम बागियों को पकड़वाना, उनका पता लगाना है । उनका सिफारिश करना नहीं । अबी निकल जायो।

यह कहकर वह राजा साहब की ओर झपटा । राजा साहब बहुत हो बलवान् मनुष्य थे। वह ऐसे-ऐसे दो को अकेले काफी थे; लेकिन परिणाम के भय ने उन्हे पगु बना दिया था । एक चूंसा भो लगाया और ५ करोड़ रुपये की जायदाद हाथ से निकली। वह चूसा बहुत मेहगा पड़ेगा । परिस्थिति भी उनके प्रतिकूल थीं। इतनी रात को उसके बंगले पर ग्राना इस बात का सबूत समझा जायगा कि उनकी नीयत अच्छी नहीं थी। दीन-माव से बोले-साहब, इतना जुल्म न कीजिए। इसका जरा भी खयाल न कीजिएगा कि मैं शाम से अब तक आपके दरवाजे पर खड़ा हूँ ? कहिए तो अापके पैरों प: । जो कहिए करने को हाजिर हूँ। मेरो अर्ज कबूल कीजिए।

जिम-कबो नइ होगा, कवो नई होगा। तुम मतलब का आदमी है । हम तुम्हारी चालों को खूब समझता है।

राजा-इतना तो आप कर ही सकते हैं कि मै उनका इलाज करने के लिए अपना डाक्टर जेल के अन्दर भेज दिया करूं?

जिम--यो डैमिट ! बक बक मत करो, सुअर अभी निकल जायो, नहीं तो हम ठोकर मारेगा।

अब राजा साहब से नन्त न हुआ । क्रोध ने नारी चिन्ताओं को, सारी कमजोरियों को निगल लिया। राज्य रहे या जाय, वला से! जिम ने ठोकर चलायी ही थी कि राजा साहब ने उसकी कमर पकटकर इतने जोर से पटका कि वह चारो खाने चित्त