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पृष्ठ:कायाकल्प.djvu/३८

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कायाकल्प]
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ठाकुर साहब ने अन्दर जाकर वसुमती से कहा--तुम घर में रहने दोगी या नहीं ? जरा भी शरम-लिहाज नहीं कि बाहर कौन बैठा हुया है। बस, जब देखो, सग्राम मचाbरहता है । इस जिन्दगी से तग पा गया । सुनते-सुनते कलेजे में नासूर पड़ गये ।

वसुमती-कर्म तो तुमने किये हैं, भोगेगा कौन ?

ठाकुर-तो जहर दे दो। जला जलाकर मारने से क्या फायदा !

वसुमती-क्या वह महारानी लडने के लिए कम थी कि तुम उनका पक्ष लेकर श्रा दौड़े ? पूछते क्यों नहीं, क्या हुआ, जो तीरों की बौछार करने लगी ?

रोहिणी--अाप चाहती हैं कि मैं कान पकड़कर उठाऊ, या बैठाऊँ, तो यहाँ कुछ आपके गॉव मे नहीं बसी हूँ । क्यों कोई अापसे थर-थर कॉपा करे!

ठाकुर-आखिर कुछ मालुम भी तो हो, क्या बात हुई ?

रोहिणी--वही हुई, जो रोज होती है । मैंने हिरिया से कहा, नरा मेरे सिर मे तेल डाल दे । मालकिन ने उसे तेल डालते देखा, तो श्राग हो गयीं। तलवार खींचे हुए आ पहुंची और उसका हाथ पकड़कर खींच ले गयी । अाज अाप निश्चित कर लीजिए कि हिरिया उन्हीं की लौडी है या मेरी भी। यह निश्चय किये बिना आप यहाँ से न जाने पायेंगे।

वसुमती-वह क्या निश्चय करेगे, निश्चय मैं करूँगी। हिरिया मेरे साथ मेरे नैहर से आयी है और मेरो लौडो है । किसी दूसरे का उस पर कोई दावा नहीं है ।

रोहिणी--सुना आपने ? हिरिया पर किसी का दावा नहीं है, वह अकेली उन्ही की लौंडी है।

ठाकुर-हिरिया इस घर में रहेगी, तो उसे सब का काम करना पड़ेगा।

वसुमती यह सुनकर जल उठी। नागिन की भाँति फुफकारकर बोली- इस वक्त तो अापने चहेती रानी की ऐसी डिग्री कर दी, मानो यहाँ उन्हीं का राज्य है। ऐसे ही न्यायशील होते, तो सन्तान का मुँह देखने को न तरसते ।

ठाकुर साहब को ये शब्द बाण-से लगे । कुछ जवान न दिया। बाहर आकर कई मिनट तक मर्माहत दशा में बैठे रहे । वसुमती इतनी मुंहफट है, यह उन्हे अाज मालूम हुया । सोचा, मैंने तो कोई ऐसी बात नहीं कही थी, जिस पर वह इतना झल्ला जाती। मैने क्या बुरा कहा कि हिरिया को सबका काम करना पड़ेगा। अगर हिरिया केवल उसी का काम करती है, तो दो महरियाँ और रखनी पड़ती हैं । क्या वसुमती इतना भी नहीं समझतो ? ताना ही देना था, तो और कोई लगती हुई बात कह देती। यह तो कठोर से कठोर ग्राघात है, जो वह मुझ पर कर सकती थी। ऐसी स्त्री का तो मुँह न देखना चाहिए।

सहमा उन्हें एक बात सूझी। मुशीजी से बोले--ज्योतिष की भविष्यवाणी के विषय में आपके क्या विचार है । क्या यह हमेशा सच निकलती है ?

मुंशोजी असमजस में पड़े कि इसका क्या जवाब दूं। कैसा जवाब रुचिकर होगा---