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पृष्ठ:कायाकल्प.djvu/८५

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कायाकल्प]
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मनोरमा—अब उसकी और व्याख्या करके मुझे लज्जित न कीजिए।

चक्रधर—तुम्हें लज्जित करने के लिए नहीं, तुम्हारा मनोरञ्जन करने के लिए बताता हूँ। वह पुरानी बातों को भूल जाता है। ऐश्वर्य पाते ही हमें अपना पूर्व-जीवन विस्मृत हो जाता है। हम अपने पुराने हमजोलियों को नहीं पहचानते। ऐसा भूल जाते हैं, मानो कभी देखा ही न था। मेरे जितने धनी मित्र थे, वे मुझे भूल गये। कभी सलाम करता हूँ, तो हाथ तक नहीं उठाते। ऐश्वर्य का यह एक खास लक्षण है। कौन कह सकता है कि कुछ दिनों के बाद तुम्हीं मुझे न भूल जाओगी!

मनोरमा—मैं आपको भूल जाऊँगी! असम्भव है। मुझे तो ऐसा मालूम होता है कि पूर्व जन्म में भी मेरा और आपका किसी-न-किसी रूप में साथ था। पहले ही दिन से मुझे आपसे इतनी श्रद्धा हो गयी, मानो पुराना परिचय हो। मैं जब कभी कोई बात सोचती हूँ, तो आप उसमें अवश्य पहुँच जाते हैं। अगर ऐश्वर्य पाकर आपको भूल जाने की सम्भावना हो, तो मैं उसकी ओर आँख उठाकर भी न देखूँगी।

चक्रधर ने मुस्कराकर—जब हृदय यही रहे तब तो! मनोरमा यही रहेगा, देख लीजिएगा। मैं मरकर भी आपको नहीं भूल सकती।

इतने में ठाकुर हरिसेवक आकर बैठ गये। आज वह बहुत प्रसन्नचित्त मालूम होते थे। अभी थोड़ी ही देर पहले राजभवन से लौटकर आये थे। रात को नशा जमाने का अवसर न मिला था, उसकी कसर इस वक्त पूरी कर ली थी। आँखें चढ़ी हुई थीं। चक्रधर से बोले—आपने कल महाराजा साहब के यहाँ उत्सव का प्रबन्ध कितनी सुन्दरता से किया, उसके लिए आपको बधाई देता हूँ। आप न होते, तो सारा खेल बिगड़ जाता। महाराजा साहब बड़े ही उदार आदमी हैं। अब तक मै उनके विषय में कुछ और ही समझे हुए था। कल उनको उदारता और सज्जनता ने मेरा संशय दूर कर दिया। आपसे तो बिल्कुल मित्रों का सा बर्ताव करते हैं।

चक्रधर—जी हाँ, अभी तक तो उनके बारे में कोई शिकायत नहीं है।

हरिसेवक—महाराजा को एक प्राइवेट सेक्रेटरी की जरूरत तो पड़ेगी ही। आप कोशिश करें, तो आपको अवश्य ही वह जगह मिल जायगी। आप घर के आदमी है, आपके हो जाने से बड़ा इतमीनान हो जायगा। एक सेक्रेटरी के बगैर महाराजा साहब का काम नहीं चल सकता। कहिए तो जिक्र करूं।

चक्रधर—जी नहीं, अभी तो मेरा इरादा कोई स्थायी नौकरी करने का नहीं है, दूसरे मुझे विश्वास भी नहीं है कि मै उस काम को सँभाल सकूँगा।

हरिसेवक—अजी, काम करने से सब आ जाता है और आपकी योग्यता मेरे सामने है। मनोरमा को पढ़ाने के लिए कितने ही मास्टर आये, कोई भी दो-चार महीनों से ज्यादा न ठहरा। आप जब से आये हैं इसने बहुत खासी तरक्की कर ली है। मैं अब तक आपकी तरक्की नहीं कर सका, इसका मुझे खेद है। इस महीने से आपको ५०)