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फ़्रेडरिक एंगेल्स

दीप बुझा जो सचमुच कैसा कान्तिमान् था,
हृदय रुका जो सचमुच कितना था विशाल औ' प्राणवान् था!²⁷

५ अगस्त , १८९५ को लंदन में फ्रेडरिक एंगेल्स का देहांत हुआ । अपने मित्र कार्ल मार्क्स (जिनका देहांत १८८३ में हुआ था) के बाद एंगेल्स ही समूचे सभ्य संसार के आधुनिक सर्वहारा के सबसे विख्यात पंडित और आचार्य थे। जबसे भाग्य ने कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स को एक सूत्र में बांध दिया उस समय से इन दोनों मित्रों का जीवन-कार्य एक ही साझे ध्येय को अर्पित हो गया। अतः फ्रेडरिक एंगेल्स ने सर्वहारा के लिए क्या किया यह समझने के लिए समकालीन मजदूर आंदोलन के विकास के विषय में मार्क्स के कार्य और शिक्षा के महत्त्व की स्पष्ट कल्पना आवश्यक है। सबसे पहले मार्क्स और एंगेल्स ने ही दिखा दिया कि मजदूर वर्ग और मजदूर वर्ग की मांगें उस वर्तमान अर्थ-व्यवस्था का एक आवश्यक परिणाम हैं जो पूंजीवादी वर्ग के साथ अनिवार्य रूप से सर्वहारा को जन्म देती है और उसका संगठन करती है। उन्होंने दिखा दिया कि आज मनुष्य-जाति को उसे उत्पीड़ित करनेवाली बुराइयों के चंगुल से मुक्त करने का कार्य उदारचित्त व्यक्तियों के सदाशयतापूर्ण प्रयत्नों से नहीं, बल्कि संगठित सर्वहारा के वर्ग-संघर्ष से संपन्न होगा। अपनी वैज्ञानिक रचनाओं में सबसे पहले मार्क्स और एंगेल्स ने ही स्पष्ट किया कि समाजवाद कोई स्वप्नदर्शियों का आविष्कार नहीं है, बल्कि है आधुनिक समाज की उत्पादक शक्तियों के विकास का

अंतिम लक्ष्य और अनिवार्य परिणाम। आज तक का समूचा लिखित इतिहास

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