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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स.djvu/५१

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तभी एक शक्ति बनेगा जब वह मजदूर वर्ग के राजनीतिक संघर्ष का उद्देश्य बन जायेगा। ये हैं इंगलैंड के मजदूर वर्ग की स्थिति से संबंधित एंगेल्स की पुस्तक के मुख्य विचार। ये विचार अब सभी विचारशील और संघर्षरत सर्वहारा ने अंगीकार कर लिये हैं, पर उस समय वे पूर्णतया नवीन थे। इन विचारों का प्रकाशन एक ऐसी पुस्तक में हुआ जो हृदयग्राही शैली में लिखी हुई है और ब्रिटिश सर्वहारा की दयनीय दशा के अत्यंत प्रामाणिक और भयानक चित्रों से भरपूर है। यह पुस्तक पूंजीवाद और पूंजीवादी वर्ग के विरुद्ध एक घोर अभियोग-पत्र सिद्ध हुई। उसने बहुत ही गंभीर प्रभाव उत्पन्न किया। आधुनिक सर्वहारा की स्थिति के सर्वोत्तम चित्र प्रस्तुत करनेवाली पुस्तक के रूप में एंगेल्स की इस रचना को सर्वत्र उद्धृत किया जाने लगा। और वस्तुतः न १८४५ के पहले और न उसके बाद ही मजदूर वर्ग की दयनीय दशा का इतना प्रभावोत्पादक और सत्यदर्शी चित्र और कहीं प्रस्तुत हो पाया है।

इंगलैंड में आ बसने के बाद ही एंगेल्स समाजवादी बने। मैंचेस्टर में उन्होंने उस समय के ब्रिटिश मज़दूर आंदोलन में सक्रिय भाग लेनेवाले लोगों से संपर्क स्थापित किये और अंग्रेज़ी समाजवादी प्रकाशनों के लिए लेख लिखना आरंभ किया। १८४४ में जर्मनी लौटते समय वह पेरिस में मार्क्स से परिचित हुए। मार्क्स के साथ उनका पत्र-व्यवहार इससे पहले ही जारी हुआ था। पेरिस में फ्रांसीसी समाजवादियों और फ्रांसीसी जीवन के प्रभाव से मार्क्स भी समाजवादी बन गये थे। यहां इस मित्र-द्वय ने संयुक्त रूप से एक पुस्तक लिखी जिसका शीर्षक है 'पवित्र परिवार या आलोचनात्मक आलोचना की आलोचना'। यह पुस्तक 'इंगलैंड के मजदूर वर्ग की स्थिति' के एक वर्ष पहले प्रकाशित हुई और इसका अधिकांश मार्क्स ने लिखा। इसमें क्रांतिकारी-पदार्थवादी समाजवाद के आधार समाविष्ट हैं जिनके मुख्य विचारों की व्याख्या हम ऊपर कर चुके हैं। 'पवित्र परिवार' दार्शनिक बावेर बंधुओं और उनके अनुयायियों का चुटकीला उपनाम है। इन सज्जनों ने ऐसी आलोचना का उपदेश दिया जो समूची वास्तविकता के परे हो , जो पार्टियों और राजनीति के परे हो , जो सारी व्यावहारिक गतिविधि से इनकार करती हो और जो केवल "आलोचनात्मक ढंग से" आसपास के संसार का और उसमें घट रही

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