पृष्ठ:कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स.djvu/६२

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फ़ौरन विद्रोह करने के लिए तैयार हैं। बकूनिनवादियों की षड्यंत्रों, फ़ौरी विद्रोहों और आतंक की कार्यनीति दुस्साहसिक थी और विप्लवों के संबंध में मार्क्सवादी सीख के विरुद्ध थी। बकूनिनवाद नरोदवाद के वैचारिक स्रोतों में से एक था।

बकूनिन और बकूनिनवादियों के संबंध में देखिये : का० मार्क्स और फ्रे० एंगेल्स लिखित 'समाजवादी जनवाद और अंतर्राष्ट्रीय मजदूर सभा का गठजोड़' (१८७३); फ्रे० एंगेल्स लिखित 'कार्यरत बकूनिनवादी' (१८७३) और 'परावसी साहित्य' (१८७५) और लेनिन लिखित 'अस्थायी क्रांतिकारी सरकार' (१९०५), इत्यादि।- पृष्ठ १०


अज्ञेयवाद (एग्नोस्टिसिज्म - यह शब्द यूनानी शब्दों से बना है : ए- नहीं, ग्नोसिस - ज्ञान) - अज्ञेयवादी भौतिक वस्तुओं का अस्तित्व मानते हैं पर उनकी ज्ञेयता अस्वीकार करते हैं।

समीक्षावाद (क्रिटिसिज़्म) - कान्ट ने अपने आदर्शवादी दर्शन को यह नाम दिया था। कारण कि मनुष्य के बोध की समीक्षा को वह अपने दर्शन का प्रधान प्रयोजन मानते थे। इस “समीक्षा" के फलस्वरूप कान्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि मनुष्य वस्तुओं की प्रकृति को समझ लेने में असमर्थ है।

निरीक्षणवाद (पोजिटिविज्म) - पूंजीवादी दर्शन और समाजशास्त्र की एक बहुप्रचलित प्रवृत्ति । फ्रांसीसी दार्शनिक और समाजशास्त्री कोन्त (१७९८-१८५७) इसके संस्थापक थे। निरीक्षणवादी आंतरिक नियम- शासित संपर्कों और संबंधों को जानने की संभावना को अस्वीकार करते हैं , वस्तुगत विश्व को जानने और परिवर्तित करने के साधन के रूप में दर्शन की महत्ता को अस्वीकार करते हैं और उसे केवल पृथक् पृथक् विज्ञानों द्वारा प्राप्त किये गये तथ्यों के सारांश और किसी व्यक्ति के अपने निरीक्षणों के परिणामों के वर्णन तक ही सीमित कर देते हैं। निरीक्षणवाद अपने को पदार्थवाद और आदर्शवाद से “ऊंचा" मानता है वास्तव में वह है आत्मवादी आदर्शवाद ही का एक प्रकार।- पृष्ठ १३

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