पृष्ठ:कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स.djvu/९

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पहले के समाजवाद के विभिन्न रूपों को (मेज्जिनी, प्रूदों, बकूनिन , इंगलैण्ड में उदारवादी ट्रेड-यूनियन आन्दोलन , जर्मनी में लासाल का दक्षिणगामी ढुलमुलपन) संयुक्त कार्यवाही की लहर में परिणत करने की चेष्टा की। मार्क्स ने इन सभी मतों और धाराओं के सिद्धान्तों से लड़ाई की और इस प्रकार उन्होंने विभिन्न देशों में मजदूर वर्ग के सर्वहारा-संघर्ष की एक कार्यनीति निश्चित की। पेरिस कम्यून के पतन (१८७१) के बाद - जिसका विश्लेषण मार्क्स ने ('फ्रांस में गृहयुद्ध' १८७१ में) ऐसी मर्मभेदी दृष्टि से, सुघरता से, औचित्य से और ऐसे प्रभावशाली और क्रान्तिकारी ढंग से किया था- और बकूनिनवादियों द्वारा इंटरनेशनल में फूट पैदा करने पर, उस संगठन के लिए यूरोप में रहना असम्भव हो गया। इंटरनेशनल की हेग कांग्रेस (१८७२) के बाद मार्क्स के आग्रह पर उसकी जेनरल परिषद को न्यूयार्क ले जाने का निश्चय किया गया। पहली इंटरनेशनल ने अपना ऐतिहासिक कार्य पूरा किया। उसके बाद एक ऐसा युग आया जिसमें संसार के सभी देशों में मज़दूर आन्दोलन की पहले से कहीं ज्यादा बढ़ती हुई। इसी युग में आन्दोलन का प्रसार हुआ और उसकी परिधि विस्तृत हुई। अलग-अलग़ जातीय राज्यों के आधार पर ग्राम समाजवादी मज़दूर पार्टियां बनीं।

इंटरनेशनल के लिए घोर परिश्रम करने से और उससे भी ज्यादा अपने कठिन सैद्धान्तिक मनन, चिन्तन आदि के अथक परिश्रम के कारण मार्क्स का स्वास्थ्य गिरता चला गया। वह अपना राजनीतिक अर्थशास्त्र संबंधी कार्य करते रहे , ‘पूंजी’ को समाप्त करने का प्रयत्न करते रहे , नयी-नयी बातों का पता लगाते रहे और कई भाषाएं (उदाहरण के लिए रूसी) सीखते रहे , परन्तु अस्वस्थ रहने के कारण वह ‘पूंजी’ को पूरा न कर सके।


२ दिसम्बर १८८१ को उनकी पत्नी का देहान्त हो गया। १४ मार्च १८८३ को आराम कुर्सी पर बैठे-बैठे मार्क्स ने भी सदा के लिए आंखें मूंद लीं। वह हाइगेट सीमेट्री लन्दन में अपनी पत्नी के साथ दफ़नाये गये। मार्क्स के बच्चों में से कुछ उनकी भयानक ग़रीबी की हालत में बचपन में ही लन्दन में मर गये। उनकी तीन बेटियों ने अंग्रेज़ी और फ्रांसीसी समाजवादियों से शादी की। इन बेटियों के नाम हैं : एल्योनोरा एवेलिंग, लौरा लफ़ार्ग , जेनी लॉन्गे। जेनी लॉन्गे का बेटा फ्रांसीसी समाजवादी पार्टी का सदस्य है।

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