१६२ पूंजीवादी उत्पादन - - उत्पादन की परिस्थितियां हैं, जिनका प्राकृतिक घटनामों की नियमितता के साथ पुनरुत्पादन होता रहता है। उपर भुगतान का यह उंग प्राचीन उत्पादन-प्रणाली को कायम रखता है। उसमानिया साम्राज्य की स्थिरता का एक कारण यह भी था। जापान की कृषि-व्यवस्था दूसरे देशों के लिए मिसाल समानी जाती है, पर योरप के लोग बापान पर जिस तरह का विदेशी व्यापार बबर्दस्ती पोप रहे है, यदि उसके परिणामस्वरूप जिन्स के रूप में वसूल किये जाने वाले लगान की जगह पर मुद्रा के रूप में लगान वसूल किया जाने लगा, तो इस कृषि-व्यवस्था का अन्त हो जायेगा। यह कृषि-व्यवस्था मिन संकीर्ण प्रार्षिक परिस्थितियों के भीतर काम करती है, उनका सफाया हो जायेगा। हर देश में बड़ेयर और पावर्तक भुगतानों को निबटाने के लिए गर्व के कुछ बास दिन परम्परा के रूप में नियत हो जाते हैं। ये तिषियों पुनरुत्पादन के च के अन्य परिक्रमणों के अलावा मौसम से गहरा ताल्लुक रखने वाली परिस्थितियों पर भी निर्भर करती है। ये तिषियों कर, लगान इत्यादि जैसे भुगतानों की तिषियों का भी नियमन करती हैं, बिनका मालों के परिचलन से कोई प्रत्यक्ष सम्बंध नहीं होता। इन तिषियों पर पूरे देश में एक साप जिन भुगतानों को निबटाना पड़ता है, उनके लिए गो मुद्रा प्रावश्यक होती है, उससे भुगतान के साधन की व्यवस्था में कुछ नियतकालिक, यद्यपि सतही गड़बड़ी पैदा हो जाती है। . दिया जाता है।" 'मुद्रा सम्पूर्ण मानव-जाति के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर देती है"। (Boisguillebert, "Dissertation sur la nature des richesses, de l'argent et des tributs.” Daire at 44, “Economistes financiers", Paris, 1843, in 9, पृ०४१३, ४१६, ४१७।) 1मि० क्रेग ने हाउस माफ़ कामन्स की १८२६ की समिति के सामने कहा है : “१८२४ में वीट्स्न्टाइड (ईस्टर के बाद के सातवें रविवार) के दिन एडिनबरा के बैंकों में से इतनी भारी संख्या में नोट निकाले गये कि ११ बजे तक उनके पास एक भी नोट नहीं बचा। उन्होंने दूसरे तमाम बैंकों से नोट उधार मंगवाये, मगर वहां भी नहीं मिले , और बहुत से सौदे काग़ज़ के पुणे (slips of paper) देकर निबटाये गये । और फिर भी तीसरे पहर के तीन बजे तक सारे नोट उन बैंकों में लौट आये, जहां से वे जारी हुए थे। ये नोट महज एक हाथ से दूसरे हाथ में धूमे थे।" यद्यपि स्कॉटलैण्ड में बैंक नोटों का मौसत कारगर परिचलन ३० लाख पाँड स्टर्लिंग से कम का है, फिर भी वर्ष में भुगतान के कुछ खास ऐसे दिन पाते हैं, जब बैंकरों के पास कुल जितने नोट होते हैं, और उनके पास कुल नोट लगभग ७० लाख पाँड के होते हैं, उनमें से एक-एक इस्तेमाल हो जाता है। इन अवसरों पर नोटों को केवल एक विशिष्ट कार्य करना पड़ता है, और उसे पूरा करते ही वे उन विभिन्न बैंकों में लौट जाते हैं, जिनसे वे जारी हुए थे। (देखिये John Fullarton की रचना “Regulation of Currencies" [" मुद्रामों का नियमन'], London, 1845, पृ. ८६, नोट 1) बात को स्पष्ट करने के लिए यहां यह बता देना आवश्यक है कि जिस जमाने में लार्टन की यह रचना लिखी गयी थी, उस जमाने में स्कॉटलैण्ड के बैंकों में जमा की गयी रकमें निकालने के लिए चैक नहीं, बल्कि नोट इस्तेमाल किये जाते थे।
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