मुद्रा, या मालों का परिचलन भुगतान के साधनों के चलन की तेजी के नियम से यह निष्कर्ष निकलता है कि समस्त नियतकालिक भुगतानों के लिए, वे चाहे जिस मद के भुगतान हों, भुगतान के साधनों की को मात्रा मावश्यक होती है, वह भुगतानों के नियत काल की लम्बाई के प्रतिलोम अनुपात में होती है। मुद्रा का भुगतान के साधन में विकास हो जाने पर यह मावश्यक हो जाता है कि अपने ऊपर बढ़ी हुई रकमों का भुगतान करने के लिए जो तिथियां निश्चित हों, उनके लिए पहले से मुद्रा का संचय किया जाये। पूंजीवादी समाज की प्रगति के साथ-साथ धन प्राप्त करने के एक विशिष्ट ढंग के रूप में अपसंचय का तो लोप हो जाता है, पर भुगतान के साधनों के संचित कोषों का निर्माण इस समाज की प्रगति के साथ-साथ बढ़ता जाता है। ग) सार्वत्रिक मुद्रा . जब मुद्रा परिचलन के घरेलू क्षेत्र के बाहर निकलती है, तो वहां वह दामों के मापदण्ड को-सिक्कों की, प्रतीकों की और मूल्य के चिन्ह की-जो स्थानीय पोशाक पहने हुए थी, उतारकर फेंक देती है और कलपोत (सोना-चांदी) का अपना मूल स्वरूप धारण कर लेती है। दुनिया की मंडियों के बीच जो व्यापार होता है, उसमें मालों का मूल्य इस प्रकार अभिव्यक्त किया जाता है कि उसे सार्वत्रिक मान्यता प्राप्त हो। प्रतएव यहां मालों का स्वतंत्र मूल्य-रूप भी सार्वत्रिक मुद्रा की शकल में उनके सामने पाकर खड़ा हो जाता है। केवल दुनिया की मण्डियों में ही मुद्रा पूरी तरह उस माल का स्वरूप प्राप्त करती है, जिसका शारीरिक रूप साथ ही अमूर्त मानव-श्रम का तात्कालिक सामाजिक अवतार भी होता है। इस क्षेत्र में उसके अस्तित्व की वास्तविक अवस्था पर्याप्त रूप से उसकी भावगत धारणा के अनुरूप होती है। होंगे? » 1"यदि प्रति वर्ष ४ करोड़ के लेन-देन की जरूरत हो, तो व्यापार के लिए मुद्रा के जितने परिक्रमण और परिचलन भावश्यक होंगे, उनके लिए क्या ६० लाख (सोने में)... काफ़ी '- इस प्रश्न का पेटी ने अपने सहज अधिकारपूर्ण ढंग से यह उतर दिया है कि "मेरा उत्तर है : हां। क्योंकि यदि ४०० लाख खर्च होने हैं और यदि परिक्रमण इतने छोटे-छोटे चक्रों में-मिसाल के लिए, साप्ताहिक -होने हैं, जैसा कि गरीब दस्तकारों और मजदूरों में होता है, जिनको हर शनिवार को मजदूरी मिलती है और जो हर शनिवार को भुगतान करते हैं, तो १० लाख मुद्रा के ४०/५२ हिस्से से ही काम चल जायेगा। लेकिन यदि परिक्रमणों के चक्र लगान देने और कर वसूलने की हमारी प्रथा के अनुसार त्रैमासिक चक्र है, तो एक करोड़ की मावश्यकता होगी। इसलिए, यदि भुगतानों को माम तौर पर एक सप्ताह से लेकर १३ सप्ताह तक के मिश्रित चक्र का मान लिया जाये, तो एक करोड़ के ४०/५२ हिस्से में हमें एक करोड़ और जोड़ना पड़ेगा, जिसका प्राधा ५५ लाख होंगे, और चुनांचे यदि हमारे पास ५५ लाख होंगे , तो उनसे काम चल जायेगा।" (William Petty, “Political Anatomy of Ireland [विलियम पेटी, 'आयरलैण्ड की राजनीतिक शरीर-रचना'], 1672, १६६१ में लन्दन से प्रकाशित संस्करण, पृ० १३, १४।) - 1 . . 11.
पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१६६
दिखावट