१७८ पूंजीवादी उत्पादन . - . मुं-मु", ' यानी वह मुद्रा, बो मुद्रा को जन्म देती है (money which begets money), पूंजी के पहले व्याख्याकारों ने, यानी व्यापारवादियों ने, पूंजी की यही प्याल्या की है। बेचने के लिए खरीदना, या ज्यादा सही ढंग से कहा जाये, तो महंगे दामों पर बेचने के लिए जरीबना, मु-मा-मु', निश्चय ही एक ऐसा रूप प्रतीत होता है, जो केवल एक डंग की पूंजी की-यानी व्यापारी पूंजी की-ही विशेषता है। लेकिन प्रायोगिक पूंची भी ऐसी मुद्रा होती है, जो मालों में बदली जाती है और इन मालों की बिक्री के परिये वो फिर पहले से प्रषिक मुद्रा में बदल जाती है। परिचलन के क्षेत्र के बाहर, यानी परीदने और बेचने के बीच के समय में, जो घटनाएं होती है, उनका इस गति के रूप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अन्तिम बात यह है कि जब सूब देने वाली पूंजी का सवाल होता है, तब परिचलन मु-मा-मु' संक्षिप्त हो जाता है। उसका परिणाम बिना किसी बीच की अवस्था केही मानो "en style lapidaire" ("नगीनासाखी के ढंग से") मु-म' के रूप में, पानी उस मुद्रा के रूप में, जो अपने से अधिक मुद्रा के बराबर होती है, या उस मूल्य के रूप में, जो खुद अपने से बड़ा होता है, हमारे सामने पा जाता है। प्रतः परिचलन के क्षेत्र के भीतर पूंजी पहली दृष्टि में जिस तरह प्रकट होता है, मु-मा- मु' वास्तव में उसका सामान्य सूत्र होता है।