१८० पूंजीवादी उत्पादन बाचीगरी के सिवा और कुछ नहीं है, और मागे से ' सीचे 'क' से खरीदेगा और सीधे 'व' के हाप बेचेगा। इस प्रकार पूरा सौदा अकेले एक कार्य में परिणत हो जायेगा, वो मालों के साधारण परिवलन की एक अलग-अलग, प्रपूरित अवस्था होगी और जो 'क' दृष्टिकोण से मात्र विक्रय और 'ख' के दृष्टिकोण से महज य होगी। इसलिये, पियानों के कम के उलट जाने से हम मालों के साधारण परिचलन के क्षेत्र के बाहर नहीं चले जाते, और इसलिये बेहतर होगा कि हम यह देखें कि क्या इस साधारण परिचलन में कोई ऐसी चीन है, जो परिचलन में प्रवेश करने वाले मूल्य को परिचलन के दौरान में ही विस्तार की सम्भावना देती है और इसके फलस्वरूप अतिरिक्त मूल्य का सृजन सम्भव बनाती है। माइये, 1. हम परिचलन की क्रिया के उस रूप को लें, जिसमें वह मालों के सीधे-सादे विनिमय की शकल में सामने पाती है। यह सदा उस समय होता है, जब मालों के दो मालिक एक दूसरे से खरीदते हैं और अब हिसाब साफ़ करने के दिन दोनों को बराबर-बराबर रकम एक दूसरे को देनी होती है और इस तरह हिसाब चुकता हो जाता है। इस सूरत में मुद्रा लेखा-मुद्रा होती है और मालों का मूल्य उनके बालों के द्वारा व्यक्त करने के काम में पाती है, परन्तु वह ब, मादी के रूप में, उनके सामने नहीं पाती है। जहां तक उपयोग-मूल्यों का सम्बंध है, बाहिर है कि इस तरह दोनों पक्षों को कुछ लाभ हो सकता है। दोनों ऐसी वस्तुओं को अपने से अलग कर देते हैं, जो उपयोग-मूल्यों के रूप में उनके किसी काम की नहीं है, और दोनों को ऐसी वस्तुएं मिल जाती है, जिनका वे उपयोग कर सकते हैं। तथा एक और लाभ भी हो सकता है। 'क', जो कि शराब बेचता है और अनाज खरीदता है, एक निश्चित भम-काल लगाकर सम्भवतया 'ब' नामक काश्तकार की अपेक्षा अधिक शराब पैदा कर लेता है, और, दूसरी मोर, अंगूर की खेती करने वाले 'क' की अपेक्षा उतने ही श्रम-काल में ज्यादा अनाज पैदा कर लेता है। इसलिये,'क' और 'ख' को बिना विनिमय किये जुद अपना अनाज और खुद अपनी शराब पैदा करने पर जितना अनाव और शराब मिलती, उसकी अपेका विनिमय के द्वारा 'क' को उतने ही विनिमय-मूल्य के बदले में स्यारा अनाव और 'ब' को ज्यादा शराब मिल सकती है। अतएव, यहां तक उपयोग मूल्य का सम्बंध है, यह कहने के लिये काफी मजबूत मापार है कि "विनिमय एक ऐसा सौदा है, जिससे दोनों पक्षों को लाभ होता है। विनिमय-मूल्य की बात दूसरी है। "एक ऐसा मामी, जिसके पास बहुत सी शराब है और अनाव बिल्कुल नहीं है, एक ऐसे पावमी के साथ सौदा करता है, जिसके पास बहुत सा मनान है और शराब बरा भी नहीं है। उनके बीच ५० के मूल्य के अनाज का उसी मूल्य की शराब के साप विनिमय हो बाता है। इस कार्य से दोनों पक्षों में से किसी के पास मूल्य की वृद्धि नहीं होती, क्योंकि उनमें से हरेक को इस विनिमय के द्वारा जितना मूल्य मिला है, उसके बराबर मूल्म विनिमय के पहले ही उनके पास मौजूर था।" परिचलन के माध्यम के रूप में मुद्रा को मालों के बीच में "1 1 "L'échange est une transaction admirable dans laquelle les deux contra- ctants gagnent-toujours (1) ["विनिमय एक प्रशंसनीय सौदा है, जिससे सौदा करने वाले दोनों पक्षों का लाभ होता है - हमेशा (!) "] (Destutt de Tracy, "Traite de la Volonté et de ses effets”, Paris, 1826, 9065) TT TT TT "Traité d'Econ. Polit." शीर्षक से प्रकाशित हुई थी।
- Mercier de la Rivière, 54o 5º, X