पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२०८

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श्रम-प्रक्रिया और अतिरिक्त मूल्य पैदा करने की प्रक्रिया २०५ . . बीज-म में कुछ किस्मों के जानवरों में भी पाया जाता है, परन्तु विशिष्ट रूप से यह मानव- श्रम की ही विशेषता है, और फ्रेंकलिन ने इसीलिये मनुष्य की परिभाषा करते हुए उसे एक प्राचार बनाने वाला बानबर (a tool-making animal) बताया है। समाज के बो मार्षिक प लुप्त हो गये हैं, उनकी खोज के लिए श्रम के पुराने प्राचारों के अवशेषों का वही महत्त्व होता है, जो पथरायी हुई हड़ियों का जानवरों की उन नसलों का पता लगाने के लिए होता है, जो अब पृथ्वी से गायब हो गयी है। अलग-अलग पार्षिक युगों में भेद करने के लिए हम यह नहीं देखते कि उन युगों में कौन-कौनसी वस्तुएं बनायी जाती थी, बल्कि यह पता लगाते हैं कि वे किस तरह पार किन पोवारों से बनायी जाती थीं। श्रम के प्राचार न केवल इस बात के मापदण्ड का काम देते हैं कि मानव-श्रम किस हद तक विकास कर चुका है, बल्कि वे यह भी इंगित करते हैं कि वह भन किन सामाजिक परिस्थितियों में किया जाता है। मन के पौधारों में कुछ यांत्रिक ढंग के होते हैं, जिन्हें यदि एक साथ लिया जाये, तो हम उनको उत्पादन की हड्डियां और मांसपेशियां कह सकते हैं। दूसरी मोर, नलियों, टबों, टोकरियों, मर्तबानों प्रादि जैसे कुछ प्रोवार होते हैं, जो केवल उस सामग्री को रखने के काम में पाते हैं, जिसपर श्रम किया जाता है। उन्हें हम पाम तौर पर उत्पादन की वाहिका-प्रणाली कह सकते है। उत्पादन के किसी भी वास युग की विशेषताओं का दूसरे प्रकार के प्राचारों की अपेक्षा पहले प्रकार के प्राचारों से अधिक निश्चित रूप में पता चलता है। दूसरे प्रकार के प्रोबार केवल रासायनिक उद्योगों में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। श्रम के प्राचारों का यदि हम अधिक व्यापक प्रचं लगायें, तो उनमें ऐसी वस्तुओं के अलावा जो प्रत्यक्ष रूप से श्रम की विषय-वस्तु तक श्रम का स्थानांतरण करने के काम में पाती है और इसलिए जो किसी न किसी ढंग से कियाशीलता के संवाहकों का काम करती है, ऐसी तमाम चीजें भी शामिल की जा सकती है, जो बम-प्रक्रिया सम्पन्न करने के लिए खरी होती है। ये बी श्रम-प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित नहीं होती, लेकिन उनके बिना या तो भम-प्रक्रिया का सम्पन्न होना ही असम्भव हो जाता है और या वह केवल पांशिक रूप में ही सम्पन्न हो पाती है। एक बार फिर हम पृथ्वी को इस प्रकार का सार्वत्रिक पौधार भी पाते हैं, क्योंकि वह मजदूर को locus standi (बड़े होने का स्थान) और उसकी क्रियाशीलता का उपयोग करने के लिए एक क्षेत्र (a field of employment) प्रदान करती है। ऐसे प्राचारों में, वो पहले किये गये किसी श्रम का परिणाम होते हैं और इस श्रेणी के अन्तर्गत भी पाते हैं, हम बर्कशापों, नहरों, सड़कों प्रादि की पर्चा कर सकते हैं। . . 1 . 1 उत्पादन के अलग-अलग युगों का प्रौद्योगिक दृष्टि से मुकाबला करने के लिए सब से कम महत्त्व रखने वाले माल विलास की वस्तुएं है, बशर्ते कि हम इन शब्दों का उनके बिल्कुल ठीक- ठीक अर्थ में कड़ाई से प्रयोग करें। आज तक लिखे गये हमारे इतिहासों में भौतिक उत्पादन के विकास की पोर चाहे जितना कम ध्यान दिया गया हो, जो समस्त सामाजिक जीवन का और इसलिए सम्पूर्ण वास्तविक इतिहास का माधार होता है, फिर भी प्रागैतिहासिक काल को अलग-अलग युगों में तथाकथित ऐतिहासिक अनुसंधान के निष्कर्षों के अनुस नहीं, बल्कि भौतिकवादी अनुसंधान के निष्कर्षों के अनुसार बांटा गया है। इन युगों का विभाजन उन सामग्रियों के अनुसार किया गया है, जिनसे उनके पौधार और हथियार बनाये जाते थे। मिसाल के लिए, प्रागैतिहासिक काल को पाषाण युग, कांस्य-युग और लौह-युग में बांटा गया है। . ॥