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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२३

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दूसरे जर्मन संस्करण का परिशिष्ट . मुझे, सबसे पहले, प्रथम संस्करण के पाठकों को यह बताना चाहिये कि दूसरे संस्करण में क्या-पया परिवर्तन किये गये हैं। इसपर पहली नजर गलते ही एक तो यह बात साफ़ हो जाती है कि पुस्तक की व्यवस्था अब अधिक सुस्पष्ट हो गयी है। वो नये फुटनोट जोड़े गये हैं, उनके मागे हर जगह लिख दिया गया है कि वे दूसरे संस्करण के फुटनोट है। मूल पाठ के बारे में निम्नलिखित बातें सबसे महत्वपूर्ण है। पहले अध्याय के अनुभाग १ में उन समीकरणों के विश्लेषण से, जिनके द्वारा प्रत्येक विनिमय-मूल्य अभिव्यक्त किया जाता है, मूल्य की व्युत्पत्ति का विवेचन पहले से अधिक वैज्ञानिक कड़ाई के साथ किया गया है। इसी प्रकार, सामाजिक दृष्टि से पावश्यक श्रम-काल द्वारा मूल्य के परिमाण के निर्धारित होने और मूल्य के सार के मापसी सम्बंध की तरफ जहां पहले संस्करण में इशारा भर किया गया था, वहां अब उसपर खास जोर दिया गया है। पहले अन्याय के अनुभाग ३ ('मूल्य का कप') को एकदम नये सिरे से दुहराया गया है। यह और कुछ नहीं तो इसलिये जरूरी हो गया था कि पहले संस्करण में इस विषय का दो जगहों पर विवेचन हो गया था। -यहाँ प्रसंगवश यह भी बता दूं कि यह बोहरा विवेचन मेरे मित्र, हैनोवर के गंक्टर एल० कुगेलमान के कारण हुमा था। १८६७ के बसन्त में मैं उनके यहां गया हुमा था। उसी बात हैम्बर्ग से किताब के पहले मा गये और ग. कुगलमान्न ने मुझे इस बात का कायल कर दिया कि अधिकतर पाठकों के लिये मूल्य के रूप की एक और अधिक शिक्षकोचिंत व्याख्या की पावश्यकता है। पहले अन्याय का अन्तिम अनुभाग- 'मालों की गड़-पूजा इत्यादि'-बहुत-कुछ बदल दिया गया है। तीसरे अन्याय के अनुभाग १ ('मूल्य की माप') को बहुत ध्यानपूर्वक दुहरा दिया गया है, क्योंकि पहले संस्करण में इस अनुभाग की तरफ लापरवाही बरती गयी थी और पाठक को बर्लिन से १८५६ में प्रकाशित 'Zur Kritik der Politischen Oekonomie", Berlin, 1859, tt rent sur FT हवाला भर दिया गया था। सातवें अध्याय को, खासकर उसके दूसरे हिस्से को (अंग्रेजी और हिन्दी संस्करणों के नौवें अध्याय के अनुभाग २ को), बहुत हद तक फिर से लिसाला गया है। पुस्तक के पाठ में जो बहुत से पांशिक परिवर्तन किये गये हैं, उन सब की चर्चा करना समय का अपव्यय करना होगा, क्योंकि बहुवावे विशुर शैलीगत परिवर्तन है। ऐसे परिवर्तन पूरी किताब में मिलेंगे। फिर भी अब, पेरिस से निकलने वाले फ्रांसीसी अनुवाद को दुहराने मुझे लगता है कि जर्मन भाषा के मूल पाठ के कई हिस्से ऐसे हैं, जिनको सम्भवतया बहुत मुकम्मल ढंग से नये सिरे से डालने की पावश्यकता है, कई अन्य हिस्सों का बहुत काफी लीगत सम्पादन करने की बात है और कुछ और हिस्सों को काफी मेहनत के साथ समय- .