पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२५२

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अतिरिक्त मूल्य की दर २४९ - . २ सूत कातने वाले ने हवा में से कात गला हो या पैसे उसने यह ४ पास सूत उस कपाल पार उन कुमों की मदद से तैयार किया हो, जिन्होंने प्रकृति की स्वयंस्फूर्त देन होने के कारण पैरावार में तनिक भी मूल्य स्थानांतरित नहीं किया है। इस पौड मत में यह सम्पूर्ण मूल्य संघटित होता है, मो कताई की प्रक्रिया में नया-नया तैयार हुआ है। उसमें से पाषा उत्पादन-प्रक्रिया में वर्ष हुए भमा के मूल्य के सम- मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है, या यूं कहिये कि उसमें से पाषा ३ शिलिंग अस्थिर पूंजी का प्रतिनिधित्व करता है, और बाकी भाषा भाग ३ शिलिंग के अतिरिक्त मूल्य का प्रतिनिमित्त करता है। चूंकि कातने वाले के काम के १२ घण्टे ६ शिलिंग में निहित होते हैं, इसलिए ३० शिलिंग के मूल्य के सूत में काम के ६० घन्टे निहित होंगे। और २० पौड पूल में सचमुच भन-काल की यह माना निहित होती है। कारण कि भाग में, या १६ पौण मूल में, ४८ षडे का बह भम निहित होता है, वो कताई की प्रक्रिया प्रारम्भ होने के पहले ही उत्पादन साधनों पर खर्च हो चुका था, और बाकी १० भाग-या ४ पास सूत-में बह १२ घन्टे का काम निहित होता है, बोपुर कताई की प्रणिया के दौरान में किया गया था। इसके पहले एक पृष्ठ पर हम यह देख चुके हैं कि सूत का मूल्य उस सूत के उत्पादन के दौरान में पैदा किये गये मवे मूल्य पर उत्पादन के साधनों में पहले से मौजूर मूल्य के बोड़ के बराबर होता है। अब यह बात स्पष्ट हो गयी है.कि पैदावार के मूल्य के विभिन्न संघटक अंशों का, अपने-अपने कार्य की दृष्टि से एक दूसरे से भिन्न होते हैं, किस प्रकार स्वयं पैदावार के तदनुरूप सानुपातिक भागों द्वारा प्रतिनिधान किया जा सकता है। पैदावार को इस तह अलग-अलग भागों में बांट देना, बिनमें से एक भाग केवल उस मम का प्रतिनिधित्व करता है, बो उत्पादन के सावनों पर पहले ही खर्च किया जा चुका है, या जिनमें से एक भाग केवल स्थिर पूंजी का प्रतिनिधित्व करता है, एक और भाग केवल उत्पादन की प्रपिया के दौरान में किये गावस्यक मम का-या अस्थिर पूंजीका- प्रतिनिधित्व करता है और एक पौर तथा मन्तिम भाग केवल उसी प्रक्रिया में वर्ष किये गये अतिरिक्त मम का-या अतिरिक्त मूल्म का-ही प्रतिनिधित्व करता है,-पैदावार को इस तरह अलग-अलग भागों में बांट देना जितना सरल है, उतना ही महत्वपूर्ण है। मागे पब इस मिया को ऐसी पेचीदा समस्थानों पर लागू किया जायेगा, जिनको अभी तक हल नहीं किया जा सका है, तब यह बात स्पष्ट हो जायेगी। मनी पर हमने विस उपाहरण पर विचार किया है, उसमें हमने कुल पैदावार को, पो बनकर इस्तेमाल के लिए तैयार हो गयी पी, १२ घण्टे के काम के दिन का अन्तिम फल माना पा। लेकिन इस कुल पंपावार का हम उसके उत्पादन की तमान अवस्थामों में अनुसरण कर सकते हैं, और यदि हम हर समय-अलग अवस्था में तैयार होने वाली प्राक्षिक पैदावार को अन्तिम या पुल पेरावार के कार्य की दृष्टि से भिन्न-भिन्न अंश मानें, तो इस तह भी हम उसी नतीजे पर पहुंच जाते है, जिसपर हम पहले पहुंचे। .