२४६ पूंजीवापी उत्पादन कीमत की कपास का प्रतिनिधित्व करेगा, और २२ पौप्य सूत ४ शिलिंग की कीमत के बराबर उत्पादन अभिया में घिस गये तकुए मावि का प्रतिनिधित्व करेगा। इसलिए, २० पौग सूत कातने में वो कुन कपास न होती है, उसका प्रतिनिधित्व पौड सूत करता है। यह सच है कि इस १३ पौर सूत में पौनसे ज्यादा कपास नहीं होती, जिसकी कीमत । शिलिंग होती है। लेकिन उसमें बोध शिनिंग का नया भूल्य मौजूर होता है, वह बाकी के पौण्ड चूत की कताई में वर्ष हुई कपास का सम-मूल्य होता है। असर नहीं होता है, वैसे इस पौछ सूत में कपास बिल्कुल न हो और पूरी की पूरी २० पौड कपास 1 पोष्ट सूत में केलीभूत हो। और इस १३- पांच सूत में न तो सहायक सामग्री तथा प्राचारों के मूल्य का एक भी कम और न ही उत्पादन- प्रमिया के दौरान में पैदा हुए मूल्य का नेश मात्र ही होता है। इसी प्रकार, बह २ पौन सूत, जिसमें सिर पूंची का बचा हुमा भाग, यानी ४ शिलिंग निहित है, वह उस सहायक सामग्री तथा मन के उन पोचारों के मूल्य के सिवा और किसी बीच का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बो २० पौर सूत तैयार करने में वर्ष मतः हम इस परिणाम पर पहुंचते है कि यपि पैदावार का भाग, या १६ पास खत, एक उपयोगी वस्तु के रूप में कातने वाले के मन का पैसा ही फल होता है, जैसा किती पैदावार का बाकी हिस्सा, फिर भी पब उसपर इस सम्बंध में विचार किया जाता है, तब उसमें कताई की प्रकिया के पराम में सर्च किया गया कोई मन नहीं होता और न ही तब यह उस मन का अवशोषण करता है। यह वैसी ही बात है, जैसे कपास बिना किसी की मदद के पुरव-पुर सूत में बदल गयी होजैसे उसने बो म पारण कर लिया है, यह केवल पानवाची पोर बोला हो। कारण किसे ही हमारा पूंजीपति इस पूत को २४ शिलिंग में बेच मलता है और इस मुद्रा से अपने उत्पादन के सापनों को बहाल कर देता है, वैसे ही यह बात स्पड हो पाती है कि १६ पास सूत पक्ष में इतनी कपास और इतने सकुओं से अधिक पौर उत्तरी ओर, पैदावार का बाकी भाग, पानी ४ पास पूत, सिलिंग के उस नवे मूल्य के सिवा और किसी चीर का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बो १२ पडेकी कलाई की प्रक्रिया पौरान में उत्पन्नामा है। इस पोसत में कच्चे माल तवा मन के प्राचारों से जितना मूत्व स्थानांतरित हमा है, यह मानो बीच में ही रोककर उस १६ पासपूत में समाविष्टकर दिया गया है, जो पहने का गला गया।बात ऐसी लगता है, जैसे कि यह पाग
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