२५४ पूंजीवादी उत्पादन . . ३ मन-काल रोजाना ११६ घन्टे होता है। इन ११६ घण्टों में से मजार एक हिस्सा अपनी मजदूरी पैदा करने-या उसका स्थान भरने में लगाता है और बाकी हिस्सा पापका प्रसन मुनाफा पैदा करने में खर्च करता है । उससे अधिक वह कुछ नहीं करता। लेकिन पाप चूंकि यह मानकर चल रहे हैं कि मजदूर की मजदूरी और आपके लिए यह जो अतिरिक्त मूल्य तैयार करता है, दोनों का मूल्य समान होता है, इसलिए यह बात साफ़ है कि वह अपनी मजदूरी घटों में और आपका असल मुनाफ़ा बाकी २२ घन्टों में पैदा करता है। फिर, २ घण्टों में जितना सूत तैयार होता है, उसका मूल्य चूंकि मजदूर की मजबूरी और मापके असल मुनाने के जोड़ के बराबर होता है, इसलिए इस सूत के मूल्य की माप १६ घण्टे होने चाहिए, जिनमें से ६ घन्टे उस सूत के मूल्य की माप हैं, जो अन्तिम से पहले एक घण्टे में पैदा हुआ है, और १ उस सूत के मूल्य की माप हैं, जो अन्तिम घण्टे में पैदा हुआ है। अब हम एक पेचीदा नुकते पर पहुंच गये हैं, इसलिए सावधान हो जाइये। अन्तिम से पहला घण्टा काम के दिन के प्रथम घण्टे के समान एक साधारण घण्टा है, न तो वह उससे कम होता है और न ही स्यावा। तब कातने वाला एक घण्टे में सूत की शकल में इतना मूल्य कैसे पैदा कर सकता है, जिसमें ५८ घण्टे का भम निहित है ? सच तो यह है कि वह ऐसा कोई चमत्कार करके नहीं दिलाता। वह एक घण्टे में जो उपयोग- मूल्य तैयार करता है, वह है सूत की एक निश्चित मात्रा। इस सूत का मूल्य ६ घण्टों द्वारा मापा जाता है, जिनमें से ४ घण्टे बिना उसकी किसी मदद के उत्पादन के साधनों में-कपास, मशीनों प्रादि में-पहले ही से मौजूद थे। उसने केवल बाक़ी एक घन्टा उनमें जोड़ा है। इसलिए उसकी मजदूरी चूंकि ५ घण्टे में पैदा होती है और एक घण्टे में उत्पन्न सूत में भी ५३ घण्टे का काम निहित होता है, इसलिए यह किसी जादूगरी का नतीजा नहीं है कि ५ घण्टे की कताई में वह जो मूल्य पैदा करता है, वह एक घण्टे में काती गयी पैदावार के मूल्य के बराबर होता है। यदि प्रापका यह जयाल है कि वह कपास, मशीनों मावि के मूल्यों का पुनवत्पादन करने या उनकी स्थान-पूर्ति में अपने काम के दिन का एक भण भी खर्च करता है, तो पाप सरासर गलती कर रहे हैं। इसके विपरीत, यदि कपास तपा तकुमओं के मूल्य स्वेच्छा से सूत में चले जाते है, तो इसका कारण केवल यही है कि उसका भम कपास तवा तकुमों को सूत में बदल देता है, या यूं कहिये कि इसका कारण केवल यही है कि वह कताई करता है। इस नतीजे की वजह उसके मन की मात्रा नहीं, बल्कि उसका गुण है। यह सच है कि वह मापे घण्टे की अपेक्षा एक घन्टे में अधिक मूल्य सूत में स्थानांतरित
पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२५७
दिखावट